इंडिया न्यूज, New Delhi : विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मंकीपॉक्स से सललग लगभग 19 देश प्रभावित होने की खबर सामने आ चुकी है और 131 से भी ज्यादा लोग मंकीपॉक्स से पीड़ित हो चुके है। इस बिमारी के दौरान इसे देखने में शरीर पर काफी बड़े फोड़े और फफोले वाले इस मंकीपॉक्स के और भी कई लक्षण देखे जा सकते हैं जिनसे आप सब अभी तक शायद अंजान होंगे। मंकीपॉक्स वायरस से बचने के लिए भी कुछ जरूरी सावधानी बरतना बेहद जरूरी है।
क्या है ये मंकीपॉक्स वायरस
ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस सीनियर फर्मास्यूटिकल एनालिस्ट सैम फजेली के मुताबिक बात करें तो, मंकीपॉक्स चिकनपॉक्स और स्मॉलपॉक्स की तरह ही एक ओर्थोंपॉक्सवायरस कह सकते है। लेकिन, देखा जाए तो मृत्यु दर के मामले में यह स्मॉलपॉक्स से थोड़ा कम प्रोब्लमेटिक माना जाता है। मंकीपॉक्स अपने नाम के मुताबिक बंदरों से फैलने वाला वायरस नहीं है।
क्या है मंकीपॉक्स फैलने के कारण?
- किसी भी मंकीपॉक्स पीड़ित व्यक्ति के शरीर से निकले हुए संक्रमित फ्लूइड के पास और उसके संपर्क में आने से फैलता है।
- मंकीपॉक्स से पीड़ित हुए व्यक्ति द्वारा संपर्क की गई चीजों को छू लेने से भी व्यक्ति को मंकीपॉक्स से पीड़ित होने की संंभावना है।
- मंकीपॉक्स पीड़ित व्यक्ति के साथ किसी भी रूप से शारीरिक रूप से करीब आने पर पीड़ित हो सकता है।
मंकीपॉक्स से प्रभावित होने के लक्षण
- मंकीपॉक्स सबसे पहले सिरदर्द और बुखार से होना शुरू होता है। आमतौर पर मंकीपॉक्स के शुरूआती लक्षण किसी आम वायरल इन्फेक्शन जैसे ही दिखाई पड़ते है।
- व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आने लगती है। शरीर का तापमान में भी बढ़ोतरी होने लगती है और शरीर में कई प्रकार के केमिकल्स रिलीज होने लगते हैं जिनसे मसल्स के भीतर दर्द रहना शुरू हो जाता है।
- 1 से 2 हफ्तों के भीतर ही लोगों के शरीर में रैशेज होने लगते हैं जो बाद में फोड़ों का रूप धारण कर लेते है।
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