नई दिल्ली: बीजेपी के लिए 2024 की राह आसान नहीं होने वाली है। एक तरफ मोदी सरकार के कई फैसलों से जनता में नाराजगी है, तो वहीं दूसरी तरफ इस बार विपक्ष भी 2024 के चुनावों की तैयारी में अभी से लग चुका है। बीजेपी भी 2024 के मद्देनजर अभी से अपने वोटबैंक को मजबूत करने में जुट गई है। इसके लिए बीजेपी अब मुसलमानों के बीच में भी अपना जनाधार बढ़ाना चाहती है।
खुद पीएम मोदी ने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से ये अपील की है कि वह ‘पसमांदा मुसलमानों’ के बीच जाएं और स्नेह बांटें। भाजपा के मुताबिक यह एक ऐसा वर्ग है, जिसे मुसलमानों के अंदर काफी उपेक्षित छोड़ा गया है वहीं अगर बीजेपी उन्हें उनका वाजिब हक दिलाती है तो यह 2024 के चुनावों में पार्टी के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है।
माना जाता है कि देश में मुसलमानों की अधिकतर आबादी पसमांदाओं की ही है, जो अभी भी अपने समाज में मुख्यधारा से पीछे हैं। वहीं बीजेपी ने हाल ही में हैदराबाद में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी की गई, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने ये साफ किया कि पार्टी को ‘स्नेह यात्राओं’ के माध्यम से ‘पसमांदा मुसलमानों’ का समर्थन हासिल करना चाहिए। खबर है कि पार्टी 16वें उपराष्ट्रपति के चुनावों में पसमांदा मुस्लिम को अपना प्रत्याशी चुन सकती है।
पसमांदा मुसलमान की बात करें तो भारत में मुसलमानो की कुल आबादी का करीब 90 प्रतिशत हिस्सा पसमांदा मुसलमानो का है। पसमांदा एक फारसी शब्द है- जिसका अर्थ है पीछे छूट जाने वाला। ये मुसलमानों का वह वर्ग है जो खुदको मूल रूप से भारतीय मानता है और इसपर गर्व भी महसूस करता है। पिछले आठ वर्षों से हिंदुओ में दलितों और पिछड़ों-अति-पिछड़ों को अपने साथ जोड़ने के बाद अब बीजेपी राजनीतिक एजेंडे में पसमांदा मुसलमानो को भी शामिल कर चुकी है।
जानकारी हो कि मुसलमान तीन सामाजिक समूहों में विभाजित हैं- अशराफ (अभिजात वर्ग), अजलाफ (पिछड़े तबके के मुसलमान) और अरजाल (सबसे दबे-कुचले मुसलमान)। वहीं पसमांदा में अजलाफ और अरजाल दोनों मुसलमान आते हैं। वहीं ये बात भी साफ है कि 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर और उससे पहले विभिन्न राज्यों में इस बीच होने वाले विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने बड़े वोट बैंक पर काम करना शुरू कर दिया है।
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