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गुजरात दौरे पर मौजूद सीएम केजरीवाल ने दूसरे दिन यानी रविवार को बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यदि उनकी पार्टी गुजरात में सत्ता में आती है तो राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में संविधान की पांचवीं अनुसूची और पंचायत उपबंध अधिनियम को लागू किया जाएगा।
इतना ही नहीं केजरीवाल ने यह भी गारंटी दी कि आदिवासी सलाहकार समिति का नेतृत्व मुख्यमंत्री के बजाय समुदाय का ही एक व्यक्ति करेगा। पंचायत उपबंध अधिनियम, को 1996 में संसद द्वारा अधिनियमित किया गया था। जिसे पेसा अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है।
सीएम केजरीवाल ने कहा, ‘हम संविधान की पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों को शब्दशः लागू करेंगे। हम पेसा अधिनियम को भी सख्ती से लागू करेंगे, जो कहता है कि कोई भी सरकार ग्राम सभा की सहमति के बिना आदिवासी क्षेत्र में कार्रवाई नहीं कर सकती।’ यही नहीं केजरीवाल ने यह भी कहा कि, यह एक आदिवासी सलाहकार समिति है। इसका काम आदिवासी क्षेत्रों के विकास की निगरानी करना है कि धनराशि का उपयोग कैसे करना है। कानून कहता है कि आदिवासी सलाहकार समिति का अध्यक्ष आदिवासी होना चाहिए जबकि गुजरात में मुख्यमंत्री इस समिति का नेतृत्व करते हैं. यह रोका जा सकता है।’
इसी साल के अंत में गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर आम आदमी पार्टी ने पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी हैं, और मुफ्त बिजली देने के वादे के साथ ही पार्टी के संयोजक जनता को लुभाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं।
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