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नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सिखों को छह इंच तक के ब्लेड वाली कृपाण लेकर चलने की अनुमति संबंधी फैसले पर स्थगन का अंतरिम आदेश जारी करने से को इनकार कर दिया। बृहस्पतिवार को मुख्य न्यायाधीश सतीशचंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ इस मामले में ये फैसला दिया।
हाई कोर्ट की पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि नागर विमानन महानिदेशालय से उस याचिका पर उसका रूख जानना चाहा, जिसमें 4 मार्च, 2022 को जारी की गयी अधिसूचना को चुनौती दी गयी है। (इस अधिसूचना में केंद्र सरकार ने कहा था कि अपवादस्वरूप सिख यात्रियों के लिए घरेलू मार्गों पर भारत में किसी भी नागरिक को उड़ान में छह इंच तक के ब्लेड वाले कृपाण लेकर चलने की अनुमति होगी।) पीठ ने इस याचिका पर प्रतिवादियों से जवाब भी मांगा है।
दरअसल, इस याचिका में एक समिति का गठन कर ‘व्यवहारिक हल’ की गुजाइंश ढूढने का अनुरोध किया गया है, ताकि उड़ान के दौरान ले जाई जाने वाली कृपाण ‘उपयुक्त डिजाइन वाली हो’ तथा उसमें चार सेंटीमीटर से अधिक का ब्लेड न लगा हो। याचिका में वकील हर्ष विभोरे ने कहा है कि, वर्तमान मान्य आयामों के तहत उड़ानों में कृपाण ले जाने की अनुमति देना ‘ विमानन सुरक्षा के लिए खतरनाक है’ और ‘यदि कृपाण को केवल धर्म के लिहाज से सुरक्षित माना जाता है तो किसी को भी अचरज होता है कि फिर सिलाई/बुनाई वाली सूई, नारियल, पेंचकस और छोटे पेन चाकू आदि कैसे खतरनाक मान लिये गये हैं और उन पर रोक लगा दी गयी है।”
वहीं याचिका में ये भी कहा गया है कि, ” प्रतिकूल अवधारणा से अलग, कृपाण एक ब्लेड ही होती है जिसका उपयोग सैंकड़ों हत्याओं में किया गया है और कई में तो उच्चतम न्यायालय ने फैसले सुनाए। इस तरह, कृपाण से दहशत फैल सकती है और विमानन सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।” इस मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी।
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