उन्होंने उस समय को भी याद किया, जब इंडिया अगेंस्ट करप्शन (IAC) आंदोलन के दौरान कैसे उनकी पार्टी AAP ब्लैकआउट हो गई थी, इसके साथ ही राघव चड्ढा ने मीडिया के साथ अपने अनुभवों को भी साझा किया।
AAP के प्रवक्ता और राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य राघव चड्ढा ने कहा, “इंडिया अगेंस्ट करप्शन (IAC) का उद्देश्य लोगों से जुड़ा हुआ था, इसलिए इसे मीडिया ने कवर किया। लेकिन उसके बाद, हमें ब्लैक आउट कर दिया गया।”
राघव चड्ढा ने कहा कि COVID-19 महामारी के दौरान मीडिया ने बहुत योगदान दिया और इसमें अरबों लोगों को प्रभावित करने की क्षमता है। उन्होंने कहा, “TV मीडिया की लोगों के बीच ऐसी पैठ है कि, जो देश की आबादी के एक महत्वपूर्ण हिस्से को प्रभावित करने की क्षमता रखता है।
COVID के दौरान, मीडिया ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।” उन्होंने आगे सुझाव दिया कि लोकतंत्र के चौथी स्तंभ को सनसनीखेज खबरें बनाने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘आज मीडिया की जिम्मेदारी है कि वह सनसनीखेज नहीं बल्कि समझदारी को सामने रखे। मीडिया को बिल्कुल सही होना चाहिए।”
राज्यसभा सांसद ने 2015 के चुनावों के दौरान की स्थिति को याद करते हुए कहा, “2015 के चुनावों में, AAP को मीडिया ब्लैकआउट का सामना करना पड़ा। हमने व्यक्तिगत स्तर पर कड़ी मेहनत और जमीनी समर्थन से जीत हासिल की। AAP नेता ने कहा कि मीडिया के साथ उनके संबंध मिश्रित रहे हैं।” उन्होंने कहा, “सार्वजनिक जीवन में पिछले एक दशक में मीडिया के साथ मेरा रिश्ता ‘कुछ खट्टा, कुछ मीठा’ दोनों का मिश्रण रहा है।”
राघव चड्ढा ने मीडिया को सुझाव देते हुए कहा कि मीडिया को सरकार के दृष्टिकोण को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि “मीडिया में भी स्पेक्ट्रम के दोनों तरफ आउटलेट हैं – वामपंथी और दक्षिणपंथी। हालांकि समस्या तब शुरू होती है, जब लोगों को एक विशेष आईडियोलॉजिकल फ्रेमवर्क समझाने का प्रयास किया जाता है।”
चड्ढा ने कहा, “मीडिया का एक वर्ग राइट की ओर झुका हुआ है और मीडिया का एक वर्ग बाईं ओर झुका है – दोनों वर्ग फैक्ट्स, घटनाओं और समाचारों को सामने रखने के बजाय राय सामने रखता है, हालांकि राय रखना भी कोई बुरी बात नहीं है। हर न्यूजरूम की राय हो सकती है। लेकिन जब वह राय सिद्धांत में बदल जाती है, समस्या वहीं से शुरू होती है।”
चड्ढा ने आगे कहा कि मीडिया को हमेशा विपक्ष के खिलाफ विरोधी रवैया अपनाने के बजाय सरकार पर नजर रखनी चाहिए। आप नेता ने कहा, “मीडिया को केवल सरकारी लाइन का वाहक नहीं होना चाहिए। विपक्ष का विरोधी होने के बजाय, मीडिया को सरकार का प्रहरी होना चाहिए।”
राज्यसभा सांसद ने कहा कि वर्तमान समय में मीडिया का एक वर्ग लोगों को गुमराह करने और नरेटिव बनाने में लगा हुआ है। उन्होंने कहा, “जब एजेंडा चलाया जाता है, जब लोगों को प्रेरित करने या जन स्तर पर राय बनाने के इरादे से प्रचार किया जाता है, तो समस्या यहीं से शुरू होती है। यही आज मीडिया का एक वर्ग कर रहा है।”
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