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गाजियाबाद: दिल्ली से सटे गाजियाबाद में एक व्यक्ति की पत्नी को प्रसव पीड़ा होने पर उसे जिला महिला अस्पताल ले गए, लेकिन अस्पताल पर आरोप है कि ऑपरेशन के लिए पांच हजार रुपये ना देने पर गर्भवती महिला को चार घंटे तक इंतजार कराया गया। परिजनों का आरोप लगाया कि मौजूदा महिला चिकित्सक ने गर्भवती के आपरेशन से पहले सुविधा शुल्क की मांग की। इस बीच करीब 4 घंटे तक महिला प्रसव पीड़ा से तड़पती रही। जिसके बाद सामाजिक संस्था और भाजपा नेताओं के दबाव में अस्पताल ने महिला का आपरेशन किया।
ऑपरेशन के लिए मांगे पांच हजार
अस्पताल ने महिला के परिजनों पर बेहोशी का डॉक्टर ना होने का बहाना बनाकर दूसरे अस्पताल भेजने का दबाव भी बनाया। घटना शुक्रवार की है जब गोविंदपुरम निवासी गर्भवती महिला राखी को उनके पति राहुल कुमार प्रसव पीड़ा होने पर अस्पताल ले गए। उनका आरोप है कि वहां उनसे निजी अल्ट्रासाउंड सेंटर पर अल्ट्रासाउंड कराकर पांच ऑपरेशन के लिए पांच हजार जमा कराने को कहा गया। जब उन्होंने शुल्क देने से मना किया गया तो अस्पताल में बताया गया कि अस्पताल में तैनात एनेस्थेटिस्ट का समय समाप्त हो चुका है और अब बाहर से एनेस्थेटिस्ट को बुलाना होगा, जिसके लिए फीस देनी होगी।
चार घंटे तक तड़पती रही गर्भवती महिला
परेशान होकर पति राहुल कुमार ने एक सामाजिक संगठन की पदाधिकारी स्नेहा शिशोदिया से संपर्क किया। स्नेहा ने जब सीएमएस को फोन किया तो उन्होंने कहा कि अस्पताल में ऑपरेशन नहीं हो सकता, मरीज को दिल्ली ही ले जाना होगा। इसके बाद एक भाजपा नेता से फोन करवाया गया, जिसके बाद राखी को अस्पताल में भर्ती किया गया और उसकी सिजेरियन डिलीवरी कराई गई। राहुल कुमार का आरोप है कि इस पूरी प्रक्रिया में लगभग चार घंटे लगे तब तक पत्नी तड़पती रही।
मुख्यमंत्री से की मामले की शिकायत
मामले की गंभीरता को देखते हुए उज्जवल भारत मिशन संस्था की राष्ट्रीय संयुक्त सचिव स्नेहा ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की है। वहीं मामले में महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. संगीता गोयल का कहना है कि रुपये मांगने का आरोप गलत है। महिला के साथ कोई अन्य महिला तीमारदार नहीं थी इसलिए भर्ती नहीं किया जा सकता है। जब परिवार से एक और महिला आई तो अल्ट्रासाउंड के बाद मैंने खुद महिला को भर्ती कराया है।
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