Qutub Minar land ownership rights:
नई दिल्ली: दिल्ली की साकेत अदालत ने मंगलवार को कुतुब मीनार भूमि पर मालिकाना हक का दावा करने वाले कुंवर महेंद्र ध्वज प्रताप सिंह द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। ध्वज प्रताप सिंह ने याचिका में आगरा के संयुक्त प्रांत के उत्तराधिकारी होने का दावा किया था। उन्होंने दावा किया कि कुतुब मीनार की संपत्ति उनकी है इसलिए कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद के साथ मीनार उन्हें दी जानी चाहिए।
याचिका में सिंह ने आगरा से यमुना और गंगा नदी के बीच मेरठ, अलीगढ़, बुलंदशहर और गुड़गांव वाले क्षेत्रों पर अधिकार की मांग की थी। इससे पहले याचिकर्ता ने प्रस्तुत किया कि 1947 के बाद सरकार ने उसकी संपत्ति पर अतिक्रमण किया और उसके पास प्रिवी काउंसिल के रिकॉर्ड हैं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने पहले ही अपने एक शपथपत्र में साफ कर दिया कि आवेदक का दावा है कि दिल्ली और उसके आसपास के शहरों पर उसका अधिकार है, लेकिन स्वतंत्रता के बाद से यानी 1947 के बाद से आवेदक ने किसी भी न्यायालय के समक्ष ये मुद्दा नहीं उठाया है, जैसा कि आवेदक द्वारा प्रस्तुतियाँ से अनुमान लगाया गया है।
एएसआई ने अपने हलफनामे में आगे कहा “इसके अलावा, आवेदक के स्वामित्व का दावा और उसकी संपत्ति में हस्तक्षेप की रोकथाम का अधिकार, मामले देरी और लापरवाही के सिद्धांत द्वारा समाप्त हो गया है, उसके खिलाफ वसूली/कब्जा/निषेध दायर करने की समय अवधि, चाहे वह 3 साल का हो या 12 साल कई दशकों पहले ही समाप्त हो चुके हैं।”
एएसआई के कहा कि “सन् 1913 में विचाराधीन संपत्ति को संरक्षित स्मारक घोषित करने के समय में पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया और कोई भी अधिकारी आपत्ति करने के लिए सामने नहीं आया और इसलिए 1913 से 2022 तक की अवधि की गणना करते हुए, सीमा की अवधि पहले ही कई बार समाप्त हो चुकी है।”
हिंदू पक्ष की ओर से पेश अधिवक्ता अमिता सचदेवा ने कहा कि याचिकाकर्ता ने 102 साल बाद संपत्ति के अधिकारों का दावा किया है। “उन्हें अदालत से किसी भी तरह की राहत में कोई दिलचस्पी नहीं है। यह याचिका एक पब्लिसिटी स्टंट से ज्यादा कुछ नहीं है और इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए”।
इससे पहले 13 सितंबर को अदालत की कार्यवाही में एएसआई ने तर्क दिया था कि हस्तक्षेप आवेदन इस कारण से खारिज करने योग्य है कि आवेदनकर्ता महेंद्र सिंह ने विशेष रूप से अपील में किसी भी अधिकार का दावा नहीं किया है और उनके पास पक्ष के रूप में पक्षकार होने का कोई अधिकार नहीं है। एएसआई ने आगे तर्क दिया था कि सिंह ने बड़े और विशाल क्षेत्रों के अधिकारों का दावा किया है।
इसके साथ ही साकेत कोर्ट ने कुतुब मीनार परिसर के अंदर हिंदुओं और जैनियों के लिए पूजा के अधिकार की मांग करने वाली अपील पर सुनवाई की। इस दौरान पूजा के अधिकार की मांग को लेकर कोर्ट ने कहा कि इस मामले की सुनवाई 19 अक्टूबर को होगी।
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