चुनावी फायदे के लिए ‘न्याय की हत्या’ की प्रवृत्ति लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरनाक है।
आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने एक बार फिर देश को बता दिया कि ‘अपराधियों का संरक्षक’ कौन है।
बिलकिस बानो का अथक संघर्ष, अहंकारी भाजपा सरकार के विरुद्ध न्याय की जीत का प्रतीक है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 8, 2024
रिपोर्ट के मुताबिक, 2002 के गुजरात दंगों के दौरान दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव की बिलकिस अपने परिवार के 16 सदस्यों के साथ भाग कर पास के गांव छापरवाड के खेतों में छिप गई थी। 3 मार्च 2002 को वहां 20 से अधिक दंगाइयों ने हमला बोल दिया था, इसके बाद 5 माह की गर्भवती बिलकिस समेत कुछ और महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया था। उसके बाद दंगाइयों ने बिलकिस की 3 साल की बेटी समेत 7 लोगों की हत्या कर दी थी।
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