Same Sex Marriage: केंद्र सरकार की ओर से सेम सेक्स मैरेज का विरोध किया जा रहा है, इसको लेकर केंद्र सरकार ने इस्लाम को संस्कारों को आदार बनाया है, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस्लाम के धार्मिक संस्कारों का हवाला दिया है. सरकार ने तर्क देते हुए कहा, “समान-सेक्स विवाह को छोड़ दिया जाए तो खास तौर से विवाह जैसी बहुजातीय या विषम संस्था को मान्यता देना भेदभाव नहीं है, क्योंकि यह सभी धर्मों में शादी जैसे पारंपरिक और सार्वभौमिक तौर से स्वीकार किए गए सामाजिक-कानूनी रिश्ते हैं.”
सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में गे कहा गया, कि ये गहराई से भारतीय समाज में रचे-बसे हैं और वास्तव में हिंदू कानून की सभी शाखाओं में ये एक संस्कार माना जाता है. यहां तक कि इस्लाम में भी, हालांकि यह एक कॉन्ट्रैक्ट है, यह एक पवित्र कॉन्ट्रैक्ट है सरकार ने वैध विवाह का उदाहरण देते हुए कहा कि एक वैध विवाह केवल एक पुरुष और एक महिला के बीच ही हो सकता है.
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आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में सेम सेक्स मैरेज के लिए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई है. याचिका में सेम सेक्स मैरेज को वैद करार देने की बात की गई है. वही इस मामले पर केंद्र सरकार का रुख पहल से ही साप है, केंद्र सरकार का कहना है कि सेम सेक्स मैरेज से समाज में अश्लीलता बढेगी. वहीं इस्लाम के ओर से भी इस याचिका का विरोध किया जा रहा है.