Tuesday, July 9, 2024
Homeनेशनलसमलैंगिक शादी केंद्र सरकार का मामला, सुप्रीम इसे छोड़ने पर करे विचार-...

इसके बहुत प्रभाव पड़ेंगे, सिर्फ समाज पर ही नहीं बल्कि दूसरे कानूनों पर? इस पर अलग-अलग राज्यों, सिविल सोसाइटी ग्रुप व अन्य समूहों के बीच बहस होनी चाहिए. मेहता ने आगे कहा कि इसपर कानून बनाने से 160 ऐसे कानून है जिसके उपर इसका प्रभाव पड़ेगा. 

India News: समलैंगिक शादी के याचिका पर सुनवाई का आज पाचवां दिन है, एक पक्ष की दलिलें पूरी हो गई है.  अब केंद्र सरकार की तुषार मेहता अपना पक्ष रख रहे है, अपना पक्ष रखते हुए तुषार मेहता ने कहा कि आप जिस मुद्दे पर सुनवाई कर रहें है वह बेहद ही जटील मुद्दा है, इसका समाज पर व्यापक प्रभाव पड़ने वाला है.

केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि असली सवाल यह है कि शादी की परिभाषा क्या है? और यह किसके बीच वैध मानी जाएगी, इस पर फैसला कौन करेगा? केंद्र सरकार की ओर से एदालत में मौजूद तुषार मेहता ने आग्रह किया कि उच्चत्तम न्यायालय, समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने के अनुरोध वाली याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों को संसद के लिए छोड़ने पर विचार करे. समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता के मामले पर सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि आप एक बेहद जटिल मुद्दे पर सुनवाई कर रहे हैं, जिसके व्यापक सामाजिक प्रभाव हैं.

मेहता ने आगे कहा कि मैं एक नागरिक होने के तौर पर भी बोल रहा हूं. यह एक बहुत ही जटील मुद्दा है इसे संसद पर छोड़ देना चाहिए. सवाल ये है कि शादी का गठन कैसे होता है और शादी किनके बीच होती है? इसके बहुत प्रभाव पड़ेंगे, सिर्फ समाज पर ही नहीं बल्कि दूसरे कानूनों पर? इस पर अलग-अलग राज्यों, सिविल सोसाइटी ग्रुप व अन्य समूहों के बीच बहस होनी चाहिए. मेहता ने आगे कहा कि इसपर कानून बनाने से 160 ऐसे कानून है जिसके उपर इसका प्रभाव पड़ेगा.

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