Smriti Irani Case:
केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी के मानहानि मुकदमा पर दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी की है। कोर्ट ने साफ किया है कि गोवा में स्थित सिली सोल्स कैफे एंड बार नामक रेस्तरां के संबंध में इरानी या उनकी बेटी के पक्ष में कभी भी कोई लाइसेंस जारी नहीं किया गया था।
मामले में टिप्पणी करते हुए न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्ण ने कहा कि इरानी या उनकी बेटी रेस्तरां की मालिक नहीं हैं। प्रथम दृष्टया वादी या उसकी बेटी ने लाइसेंस के लिए कभी आवेदन नहीं किया। वहीं कोर्ट ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश, प्रवक्ता पवन खेड़ा और नेट्टा डिसूजा को समन जारी किया है।
एक अगस्त को हाईकोर्ट की वेबसाइट पर जारी आदेश में कोर्ट ने कहा कि न तो रेस्तरां और न ही जिस भूमि पर रेस्तरां मौजूद है, उस पर इरानी या उनकी बेटी का स्वामित्व नहीं है। रिकार्ड पर मौजूद सामग्री को देखते हुए अदालत का विचार है कि एक व्यक्ति की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए इस तरह की टिप्पणी की गई है। मामले में अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी।
वादी के हलफनामे में इस बात की पुष्टि की गई है वहीं गोवा सरकार ने जो कारण बताओ नोटिस जारी किया है वह भी वादी या उसकी बेटी के नाम पर नहीं है। दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक ट्वीट और पोस्ट करने को लेकर महिला एवं बाल विकास मंत्री इरानी ने कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर दो करोड़ रुपये का हर्जाना की मांग की है।
कोर्ट ने याचिका के आधार पर कांग्रेस नेताओं को 24 घंटे के भीतर इरानी और उनकी बेटी के खिलाफ लगाए गए ट्वीट, री-ट्वीट, पोस्ट, वीडियो और फोटो हटाने का निर्देश दिया है। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर, फेसबुक और यू-ट्यूब से स्वयं सामग्री को हटाने को कहा गया है।
जानकारी हो कि 23 जुलाई को कांग्रेस ने ईरानी की बर्खास्तगी की मांग करते हुए आरोप लगाया था कि उनकी बेटी गोवा में एक अवैध बार चला रही है। हालांकि, इरानी ने इसके जवाब में कहा था कि नेशनल हेराल्ड केस के मामले में उनके मुखर रुख के कारण गांधी परिवार के इशारे पर उन्हें और उनकी बेटी को बदनाम किया जा रहा है।
ये भी पढ़ें: 9 साल बाद 7 लोगों के हत्यारे को फांसी की सजा, पूर्व ड्राइवर ने ही ली परिवार की जान