मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों का असर गुणवत्तापरक शिक्षा को लेकर दिखने लगा है। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने नर्सिंग और पैरा मेडिकल की पढ़ाई के लिए मानक विहीन 20 नर्सिंग प्रशिक्षण केंद्रों पर सख्ती दिखाई है। कड़ी कार्रवाई करते हुए कम शिक्षकों वाले नर्सिंग प्रशिक्षण केंद्रों के शैक्षणिक वर्ष 2022-23 का प्रवेश रोक दिया गया है।
उत्तर प्रदेश को गुणवत्तापूर्ण नर्सिंग शिक्षा के केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए एक बार फिर सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। प्रशिक्षण केंद्रों में शिक्षा की गुणवत्ता जांच के लिए तकनीकी का इस्तेमाल करके और टेलीफोनिक सत्यापन में पहली जांच में 161 डिप्लोमा स्तर वाले नर्सिंग प्रशिक्षण केंद्रों में अनिवार्य संकाय छात्र का अनुपात 50 फीसदी से कम पाया गया।
यूपी राज्य चिकित्सा संकाय की तरफ से इन प्रशिक्षण केंद्रों को पहले नोटिस भेजे गए। बाद में 32 ऐसे केंद्रों की पहचान हुई जिन्होंने यूपीएसएमएफ के नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया था और जरुरी बायोमेट्रिक उपस्थिति भेजना भी शुरू नहीं किया था। इसके बाद ई सत्यापन हुआ, जहां इन 32 केंद्रों पर वीडियो कॉल के माध्यम से हर ट्यूटर की उनके पंजीकरण दस्तावेजों के साथ उनके आधार कार्ड का उपयोग करके पहचान की गई। पांच केंद्रों ने ई सत्यापन में भी हिस्सा नहीं लिया।
आगरा देव एजुकेशन कॉलेज, अयोध्या चिरंजीव नर्सिंग संस्थान, अयोध्या झुनझुनवाला इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, आजमगढ़ अखिल भारतीय बाल देखभाल एवं शैक्षिक विकास समिति, आजमगढ़ श्री बाबा सदावरम पैरामेडिकल एंड नर्सिंग कॉलेज, बरेली क्लारा स्वैन हॉस्पिटल, गौतमबुद्ध नगर एनआईएमटी अस्पताल, गोंडा मां गायत्री इंस्टिट्यूट ऑफ़ नर्सिंग एंड पैरामेडिकल साइंसेस, हापुड़ उपकार स्कूल ऑफ नर्सिंग, अमरोहा भारतीय नर्सिंग कॉलेज, अमरोहा गंगोत्री स्कूल ऑफ नर्सिंगए जेपी नगरी, अमरोहा संजीवनी नर्सिंग कॉलेज, जौनपुर राय केबी सिंह नर्सिंग एंड पैरामेडिकल कॉलेज, लखनऊ करियर कॉलेज ऑफ नर्सिंग, लखनऊ मेयो मेडिकल सेंटर, मथुरा लाइफ लाइन स्कूल ऑफ नर्सिंग, मथुरा एसएम नर्सिंग कॉलेज, मथुरा एसआरसी नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थान, प्रतापगढ़ रूमा इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस और वाराणसी डॉ. विजय कॉलेज ऑफ नर्सिंग एंड मेडिकल।
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