Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने अविवाहित महिलाओं के हित में एक अहम फैसले को मोहर लगाई है। दरअसल कोर्ट ने एक अहम फैसले में अविवाहित महिला को गर्भ को गिराने की इजाजत दे दी है। जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने दिल्ली हाई कोर्ट फैसले को पलटते हुए कहा कि अदालत का काम अपनी बुद्धि और विवेक का इस्तेमाल करना है। अदालत कोई कंप्यूटर नही है कि सिर्फ मशीनी फैसला दे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवाहित महिलाओं की तरह कुंआरी लड़कियों को भी गर्भपात का अधिकार है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि गर्भपात से सिर्फ इसलिए इनकार नहीं किया जा सकता कि महिला अविवाहित है। बेंच ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी ऐक्ट में 2021 के संशोधन का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें पति की जगह पार्टनर का जिक्र है। अदालत ने कहा यह बात ही कानून की मंशा को दर्शाती है कि यह अविवाहित महिलाओं को भी दायरे में रखता है।
जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने आगे कहा कि हमारा मत है कि याचिकाकर्ता अनचाहा गर्भधारण से सफर कर रही है और यह विधायिका के कानून के मकसद के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो कानून बनाया गया है उसका मकसद पूरा नहीं होगा अगर विवाहित और अविवाहित में फर्क किया जाएगा। गौरतलब है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता अविवाहित महिला हैं और सहमति से संबंध के कारण प्रेगनेंट हुई हैं। गर्भ 23 हफ्ते का है और वह मेडिकल प्रिगनेंसी ऑफ टर्मिनेशन एक्ट के तहत कवर नहीं हो रही हैं।
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