सुप्रीम कोर्ट तेलंगना सरकार बनाम राज्यपाल के मामले पर सुनवाई कर रहा है. इस दौरान राज्यपालों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की. आमतौर यह देखा जाता है कि राज्यपाल राज्य सरकार द्वारा बनाए गए विधेयक को जल्दी मंजूरी नहीं देते है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपालों को विधयकों पर फैसला लेने में देरी नहीं करनी चाहिए.
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने तेलंगाना सरकार द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए ये कहा कि याचिका में राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन को विधानसभा द्वारा पारित 10 विधेयकों को मंजूरी देने का निर्देश देने की मांग की गई थी. राज्यपाल के लिए एसजी तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अब कोई भी बिल पेंडिंग नहीं है. इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपालों को विधयकों पर फैसला लेने में देरी नहीं करनी चाहिए, उन पर बैठे रहने की बजाए जितना जल्दी हो फैसला लेना चाहिए.
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गौरतलब है कि तेलंगना सरकार बनाम राज्यपाल जैसा ही मामला पंजाब से भी सामने आया था, जब राज्यपाल ने पंजाब मंत्रिमंडल के सदन की बैठक बुलाने के आग्रह को मंजूरी नहीं दी थी. हालांकि पंजाब के राज्यपाल ने सुपरीम कोर्ट मे सुनवाई से पहले मंजूरी दे दी थी. अगर दिल्ली की बात करें तो इसी तरह की तकरार, दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच देखने को मिलती है.