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Swaroopanand Saraswati Death: 99 वर्ष की उम्र में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने ली अंतिम सांस, कल होगा अंतिम संस्कार

• LAST UPDATED : September 11, 2022

Swaroopanand Saraswati Death:

Swaroopanand Saraswati Death: द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का 99 साल की उम्र में आज रविवार को निधन हो गया है। मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर के झोतेश्वर मंदिर में शंकराचार्य स्वामी ने अपनी अंतिम सांस ली है। आपको बतौ दे कि 99 साल के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती पिछले लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का अंतिम संस्कार कल सोमवार को झोतेश्वर में ही साढ़े तीन बजे होगा। आज रात और कल अंतिम दर्शन के लिये देह को रखा जायेगा।

3 सितंबर को मानाया था अपना जन्मदिन

आपको बता दें कि बीते दिनों ही 3 सितंबर को शंकराचार्य स्वामी ने अपना 99वां जन्मदिन मनाया था। ज्योर्तिमठ बद्रीनाथ और द्वारका की शारदा पीठ के वह शंकराचार्य थे। राम मंदिर निर्माण के लिए उन्होंने काफी लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी है। इसके अलावा उन्होंने आजादी के आंदोलन में भी हिस्सा लिया था। स्वरूपानंद सरस्वती हिंदुओं के सबसे बड़ा धर्मगुरु हैं।बता दें कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती अनुयायी तथा शिष्य अंतिम समय में उनके समीप थे। स्वामी के बृह्मलीन होने की सूचना के बाद आश्रम की तरफ क्षेत्रों से भक्तों की भीड़ पहुंचने लगी है।

9 साल की उम्र में छोड़ा था घर

मध्यप्रदेश राज्य के सिवनी जिले के दिघोरी गांव में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका नाम उनके माता-पिता ने पोथीराम उपाध्याय रखा था। उन्होंने महज 9 साल की उम्र में अपना घर छोड़कर धर्म की यात्रा शुरू कर दी थी। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती इस दौरान उत्तर प्रदेश के काशी भी पहुंचे थे। जहां पर उन्होंने ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज वेद-वेदांग से शास्त्रों की शिक्षा प्राप्त की थी। इस दौरान वह सिर्फ 19 साल की उम्र में साल 1942 में क्रांतिकारी साधु के तौर पर प्रसिद्ध हुए थे। क्योंकि देश में उस वक्त अंग्रेजों के साथ आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही थी।

स्वामी स्वरूपानंद ने ली दण्ड-सन्यास की दीक्षा

इसके अलावा साल 1950 में स्वामी स्वरूपानंद को दंडी संन्यासी बनाया गया था। साल 1981 में उन्हें शंकराचार्य की उपाधि प्राप्त हुई थी। ज्योतिषपीठ के ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से उन्होंने साल 1950 में दण्ड-सन्यास की दीक्षा ली थी। जिसके बाद से ही वह स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती नाम से जाने जाने लगे थे।

सीएम योगी ने जताया दुख

स्वामी के निधन पर सीएम योगी ने दुख जताया है। योगी ने ट्वीट कर कहा कि, “श्री द्वारका-शारदा पीठ व ज्योतिर्मठ पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य श्रद्धेय स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज का ब्रह्मलीन होना संत समाज की अपूरणीय क्षति है। प्रभु श्री राम दिवंगत पुण्यात्मा को अपने परमधाम में स्थान व शोकाकुल हिंदू समाज को यह दुःख सहने की शक्ति दें। ॐ शांति।”

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने स्वामी के निधन पर ट्वीट कर लिखा कि, “पूज्यपाद ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदापीठाधीश्वर, जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी के ब्रह्मलीन होने का समाचार दुःखद है। उन्होंने हमेशा धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने का रास्ता दिखाया। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे। सादर श्रद्धांजलि।”

प्रियंका गांधी वाड्रा ने जताया शोक

स्वामी के निधन पर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने शोक जताया है। प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर लिखा कि, “जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के महाप्रयाण का समाचार सुनकर मन को भारी दुख पहुंचा। स्वामी जी ने धर्म, अध्यात्म व परमार्थ के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। साल 2021 में प्रयागराज में गंगा स्नान के बाद उनका आशीर्वाद प्राप्त कर देश व धर्म की उदारता व सद्भावना पर उनके साथ चर्चा करने का मौका मिला।”

प्रियंका गांधी ने आगे लिखा कि, “स्वामी जी ने मेरे पिता के रहते हुए 1990 में हमारी गृहप्रवेश की पूजा कराई थी। ये पूरे समाज के लिए एक अपूर्णीय क्षति है। ईश्वर से प्रार्थना है कि इस कठिन समय में स्वामी जी के अनुयायियों को कष्ट सहने का साहस दें, ॐ शांति।”

 

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