इंडिया न्यूज़, New Delhi News : वेगास मॉल द्वारका इस बार अपने आगंतुकों के लिए एक ऐसी समय यात्रा की स्थापना लेकर हाजिर हुआ है जहाँ सदियों पहले भुलाये जा चुके विलुप्त जीवों एवं उनकी जीवनशैली का अनुभव और अन्वेषण वर्तमान में किया जा सकता है। भारत में पहली बार, किसी मॉल के अन्दर 11 विविध लुप्त पशु-प्रजातियों को उनके प्राकृतिक आवास के साथ स्थापित किया जायेगा, जिनकी संरचना की बारीकियां वास्तव में प्रशंसनीय होंगी।
वेगास मॉल का ‘द लॉस्ट वर्ल्ड’ में विभिन्न प्रागैतिहासिक जानवरों जैसे वूली मैमथ, सेबर टूथ टाइगर्स आदि को देखा जा सकता है। इस प्रतिरूप को प्रागैतिहासिक काल की पेड़-पौंधों से सजाया गया है और इसकी पृष्ठभूमि में शीतलता का अनुभव देने वाला एक झरना भी है।
द लॉस्ट वर्ल्ड का उद्देश्य इन गर्मी की छुट्टियों में छोटे बच्चों को एक अनूठा अनुभव देना है, जिससे वह न सिर्फ प्रागैतिहासिक युग के सार को समझ सके, बल्कि पृथ्वी पर उस समय की परिस्थितियों का जीवंत अनुभव भी कर सकें। यहाँ पूरे महीने बच्चों के रचनात्मक पक्ष को बढ़ावा देने वाली रोचक और मनोरंजक गतिविधियों का अद्भुत अवसर मिलेगा। जहाँ गर्मी की छुट्टियों में एक के बाद एक गुजरते दिन बच्चों के लिए उबाऊ बनते चले जाते हैं।
वेगास मॉल ने इस बार उनकी छुट्टियों के हर दिन में एक नया रंग भरने की ठानी है। ओरिगेमी और पेपर मास्क से लेकर ब्लॉक प्रिंटिंग जैसी दिलचस्प चीजों के साथ बोरिंग छुट्टियाँ बीते दिनों की कहानी बनकर रह जाएंगी। इस आयोजन को मिलने वाली जबरदस्त प्रतिक्रिया को इस बात से समझा जा सकता है कि पहले सप्ताहांत में ही वेगास में इसके लिए 650 से भी अधिक पंजीकरण किए जा चुके हैं, और यह संख्या अभी भी आश्चर्यजनक रूप से लगातार बढ़ती ही चली जा रही है।
माता-पिता भी लॉस्ट वर्ल्ड में बच्चों की रुचि को देखकर काफी खुश हैं क्योंकि इसके जरिए वह अपनी छुट्टियों को रचनात्मक बनाकर अपने समय का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं। द लॉस्ट वर्ल्ड की सफलता का श्रेय प्रागैतिहासिक काल जैसी अद्वितीय विषय-वस्तु और इसके शानदार क्रियान्वयन को दिया जा सकता है।
कार्यक्रम के बारे में प्रेस और मीडिया से बात करते हुए, सहायक उपाध्यक्ष रविंदर चौधरी ने कहा हम दिल्लीवासियों को प्रागैतिहासिक युग में वापस ले जाने की परिकल्पना से काफी रोमांचित हैं। यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने ग्रह के इतिहास एवं धरोहर को बनाए रखें और हमारे बच्चे मनुष्यों के साथ सह-अस्तित्व रखने वाली प्रजातियों का सम्मान करें। ऐसा करने के सबसे अच्छा तरीका उन्हें यह दिखाना है कि हजारों साल पहले पृथ्वी आखिर दिखती कैसी थी।
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