आज यानी सोमवार को पूरी दुनिया में विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जा रहा है। वहीं इस मौके पर संयुक्त राष्ट्र ने भारत को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है। संयुक्त राष्ट्र ने अनुमान जताया है कि नवंबर 2022 तक दुनिया की आबादी 8 अरब तक पहुंच सकती है। वहीं भारत की बात करें तो 2023 तक चीन को पछाड़ते हुए भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा।
हालांकि इस मामले में संयुक्त राष्ट्र ने ये भी खुलासा किया है कि 1950 के बाद से विश्व की जनसंख्या सबसे धीमी गति से बढ़ रही है। उनके मुताबिक 2020 में जनसंख्या वृद्धि दर एक प्रतिशत से कम हो गई है। ताजा आंकड़ो की बात की जाए तो 2030 में विश्व की जनसंख्या लगभग 8.5 अरब और 2050 में 9.7 अरब हो जाएगी। वहीं अनुमान है कि 2080 तक विश्व की जनसंख्या 10.4 अरब के शिखर तक पहुंच जाएगी।
जानकारी हो कि दुनिया में सबसे ज्यादा 29 फीसदी जनसंख्या यानी करीब 2.3 अरब लोग पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया में रहते हैं। वहीं इसके बाद मध्य और दक्षिण एशिया में 26 फीसदी यानी 2.1 अरब आबादी रहती है। भारत और चीन की बात की जाए तो 2022 में दोनों की कुल आबादी 1.4 अरब से अधिक है, इन दोनों देशों की आबादी विश्व में सर्वाधिक आबादी वाले देशों में आती है।
लगातार बढ़ती विश्व की जनसंख्या को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस का कहना है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रगति ने मनुष्य का जीवनकाल बढ़ाया है, वहीं मातृ एवं बाल मृत्यु दर में भी कमी दिखाई दी है।
लेकिन इन सबसे अलग विश्व की बढ़ती जनसंख्या अपने साथ में बहुत सी समस्याएं भी खड़ी रही है। पर्यावरण प्रदुषण, पेड़ों की लगातार कटाई, जल का दोहन इनमें से एक हैं। ऐसे में हम सभी को जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए अभी से ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। जिसके लिए सामाजिक और प्रशासनिक तौर पर अभियान चलाए जाने की भी जरूरत है।
अंध्विश्वासी और रुढ़िवादी विचारधारा को अपने देश अपने गांव और अपने घरों में से निकालकर समाप्त कर देने की जरूरत है। शिक्षा का अभाव बढ़ती जनसंख्या के बढ़ने का बड़ा कारण हैं। जनसंख्या नियंत्रण कानून को तेजी और प्रभावी ढंग से लागू किया जाना चाहिए।
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