India News Delhi (इंडिया न्यूज), Noida Authority: नोएडा में अवैध इमारतों को हटाने को लेकर तैयारी की जा रही है। नोएडा अथॉरिटी ने अब बड़े अतिक्रमणों पर एक बड़ा कदम उठाने की घोषणा की है। अथॉरिटी द्वारा ऐसी 50 अवैध इमारतों को चिह्नित किया गया है, जिन पर अवैध निर्माण का बोर्ड लगाया गया है।
नोएडा अथॉरिटी के CIO के निर्देश पर, अवैध इमारतों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए तैयारियाँ की जा रही हैं। सोमवार को बैठक में तय किया गया है कि पहले चरण में दस इमारतों को तोड़ा जाएगा, जिनमें रहने और व्यापारिक उपयोग दोनों हैं। पुलिस सुरक्षा के साथ, निजी एजेंसियों की मदद से यह कार्य संपन्न किया जाएगा। अवैध इमारतों के हटाए जाने के बाद इन भूखंडों का पुनः जमींदोजी किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश के नोएडा में अवैध इमारतों के खिलाफ बड़ा अभियान जारी है, जिसके तहत पिछले दो महीने से अधिकतर इमारतों पर “ये अवैध निर्माण” का बोर्ड लगा दिया गया है। इस अभियान के अंतर्गत 15 इमारतों को सील भी कर दिया गया है। नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि इस अभियान की पहली फेज में सर्कल-3 ने शुरूआत की है, जिसमें 10 इमारतों को तोड़ा जाएगा। चुनी गई एजेंसी इन इमारतों को तोड़कर उनके मलबे को बेचकर अपना खर्च निकालेगी और प्राधिकरण को भी रुपये देगी। इसके साथ ही, पुलिस बल की भी मांग की गई है ताकि इस प्रक्रिया को सुरक्षित तरीके से संपादित किया जा सके।
नोएडा प्राधिकरण ने दो महीने में 1 लाख 33 हजार 362 वर्गमीटर की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराकर अपने कब्जे में ले लिया है। इस जमीन की कुल कीमत करीब 656.71 करोड़ रुपए है। यह जमीन प्राधिकरण की अधिसूचित और अर्जित जमीन में आती है, जिस पर मास्टर प्लान 2031 के अनुसार प्लानिंग नियोजित है। इसलिए इस जमीन पर बिना प्राधिकरण की मंजूरी के बिना किए गए निर्माण अवैध माने गए हैं।
नोएडा प्राधिकरण ने अपने अतिक्रमण हटाओ अभियान के पहले चरण में बरौला क्षेत्र में स्थित 10 इमारतों पर कार्रवाई की घोषणा की है। अधिकारियों ने बताया कि इन इमारतों को तोड़ने का निर्णय इनमें से कई नाले के किनारे वाली हैं और कुछ अवैध भी हैं। इन इमारतों की जमीन राजस्व रेकॉर्ड में दो अलग-अलग खसरा नंबरों पर है। इसके अलावा, ये इमारतें नियमों के उल्लंघन के आरोप में खड़ी की गई थीं। इस क्षेत्र का वर्क सर्किल-3 में आना है। इन इमारतों का निर्माण धीरे-धीरे हुआ था, जिसके बावजूद प्राधिकरण ने उनकी निगरानी नहीं की थी। अब इस समस्या को हल करने के लिए एक एजेंसी का चयन किया गया है।
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