India News(इंडिया न्यूज़), Viral: विनोद ने पत्र में लिखा कि अनुरोध है कि मेरे मन का पूर्ण सम्मान किया जाए और मुझे भारत रत्न से सम्मानित किया जाए। इसके लिए उन्होंने आयुक्त एवं जिला माजी मंदिर को पत्र लिखकर उनका ध्यान आकृष्ट कराया है।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। जहां एक खास शख्स ने अपने लिए भारत रत्न की मांग की। उन्होंने गोरखपुर मंडल के अयोध्या (आयुक्त) कार्यालय को पत्र लिखकर यह मांग की है। उनका मांग पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और चर्चा का विषय बना हुआ है। इसमें शख्स ने कहा कि ध्यान के दौरान उनके मन में भारत रत्न पाने की इच्छा प्रकट हुई। पत्र के मालिक ने अपना नाम विनोद कुमार गोंड बताया है। विनोद के मुताबिक वह गोरखपुर के सदर तहसील के तंजानिया पिपराइच इलाके का रहने वाला है।
विनोद ने पत्र में आगे लिखा कि विनम्र निवेदन है कि मेरी मन की बात पूरी हो और मुझे भारत रत्न से सम्मानित किया जाए। इसके लिए विनोद ने कमिश्नर और जिलाधिकारी को पत्र लिखकर उनका ध्यान आकृष्ट कराया है।
पत्र अधिकारी ने इसे राष्ट्रपति भवन भेज दिया। लेकिन जब इस मामले में अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने कैमरे पर बात करने से इनकार कर दिया। हालांकि, ऑफ कैमरा उन्होंने कहा कि पत्र मेल से आया है। इसलिए हमने इसे जांच के लिए भेजा है। लेकिन जब भारत रत्न पुरस्कार पाने की इच्छा जाहिर तौर पर विनोद से जाहिर की गई तो उन्होंने कहा कि मैंने कमिश्नर को हाथों-हाथ पत्र दे दिया था। जिस पर कमिश्नर ने कहा कि आप जाइये मैं पत्र आगे बढ़ा दूंगा।
विनोद ने यह भी कहा था कि जो काम हमारा था, हमें भारत रत्न मिले या न मिले, यह भगवान के हाथ में है। विनोद कहते हैं कि पहले मुझे राष्ट्रपति भवन में भी फोन आया था, जिसमें कहा गया कि आप अवॉर्ड के लायक नहीं है। आपके पास कोई योग्यता नहीं है। इसलिए फिल्म के लिए भारत रत्न अवॉर्ड की मांग न करें। जांच का मामला मीडिया में आने के बाद अब जिले के अधिकारियों का कहना है कि विनोद के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।
बताया जा रहा है कि विनोद ई-चित्रकारी परिवार का भरण-पोषण कर रहा था। उनके दो बेटे हैं। कुछ महीने पहले उनकी कार चोरी हो गई थी। इसके बाद वह एक कथावाचक का ड्राइवर बन गया। उनके साथ पूजा-पाठ और ध्यान आदि करने लगे। इस बीच उन्होंने दावा किया कि ध्यान के दौरान उनके दिल से आवाज आई कि वह जो कर रहे हैं उसके लिए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए।
कथित तौर पर विनोद के भारत रत्न मांग पत्र पर कार्रवाई करने के लिए गोरखपुर से डीएम को भेजा गया था। इस पर स्वामी की मुहर दिखाई देती है। इसके बाद लेटर मेकर, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/एएमएडी सदर, डीआईओएस सदर, सीडीओ की लिखावट और सिने के साथ इसे आगे बढ़ाया गया। निरीक्षण अधिकारी इस पर बोलने से बच रहे हैं।
इस पत्र में कई वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यालय की मुहर और हस्ताक्षर शामिल हैं, जिसके बाद सवाल उठाया गया कि कोई भी अधिकारी इस पत्र पर अपना समय कैसे दे सकता है। इस संबंध में जब सीडीओ गोरखपुर संजय कुमार मीना से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि हमारे कार्यालय आकर इसे जांच के लिए चिह्नित करें और आगे बढ़ें। ख़ैर, हम सबने यही किया। बाकी दस्तावेजों पर काम चल रहा है।
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