India News(इंडिया न्यूज़), Republic Day 2024: 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू होने के बाद भारत एक गणतंत्र बन गया। आज ही के दिन डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने तत्कालीन गवर्नमेंट हाउस और आज के राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। इसके बाद उनका काफिला कनॉट प्लेस और उसके आसपास के इलाकों से होते हुए करीब पौने चार बजे इर्विन स्टेडियम पहुंचा। इरविन स्टेडियम को अब मेजर ध्यानचंद स्टेडियम के नाम से जाना जाता है। यहीं पर भारत का पहला गणतंत्र समारोह हुआ था।
फिलहाल परेड राजपथ, इंडिया गेट से होते हुए लाल किले तक पहुंचती है। लेकिन 1954 तक गणतंत्र दिवस समारोह अलग-अलग जगहों पर आयोजित किये जाते थे। पहली बार यह कार्यक्रम इरविन स्टेडियम में आयोजित किया गया था। इसके बाद के वर्षों में गणतंत्र दिवस का आयोजन किंग्सवे (राजपथ), लाल किला और रामलीला मैदान में किया गया। 1955 से हर साल गणतंत्र दिवस समारोह राजपथ (कर्तव्य पथ) पर आयोजित किया जा रहा है।
1950 के गणतंत्र दिवस समारोह में भारत के राष्ट्रपति शाही बग्घी में सवार होकर पहुंचे थे। इस बग्गी को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच काफी बहस हुई थी। दरअसल, यह बग्गी ब्रिटिश प्रतिनिधि लॉर्ड माउंटबेटन की हुआ करती थी। जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो सवाल उठा कि वैगन किसके पास जाएगा। जब कोई समाधान नजर नहीं आया तो फैसला भाग्य पर छोड़ दिया गया। हुआ यह कि एक अधिकारी ने सुझाव दिया कि एक सिक्का उछालकर यह तय करना चाहिए कि शाही गाड़ी किस देश की होगी। पाकिस्तान की ओर से कमांडर-मेजर याकूब खान को और भारत की ओर से कमांडर-मेजर गोविंद सिंह को बुलाया गया। भाग्य भारत के पक्ष में था और सिक्का भारत के पक्ष में गिरा। इस तरह वह बग्गी भारत के राष्ट्रपति की गाड़ी बन गई।
गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रगान के साथ तोपों की सलामी की परंपरा शुरू से ही चली आ रही है। वर्तमान में राष्ट्रगान के आरंभ से अंत तक 21 तोपों की सलामी दी जाती है। यह सलामी राजकीय सम्मान देने का एक तरीका है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहले गणतंत्र दिवस पर भारत के राष्ट्रपति को 31 तोपों की सलामी दी गई थी। उस समय 31 तोपों को शाही सलामी माना जाता था। बाद में यह संख्या 21 हो गई।
पहले गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति सुकर्णो थे। कई बिंदुओं पर विचार करने के बाद मुख्य अतिथि का चयन किया जाता है। गणतंत्र दिवस पर भारत का मुख्य अतिथि बनना सर्वोच्च समान माना जाता है। मुख्य अतिथि को 21 तोपों की सलामी दी जाती है। राष्ट्रपति भवन के सामने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। राष्ट्रपति शाम को उनके लिए एक विशेष स्वागत समारोह का भी आयोजन करते हैं।
आजकल परेड सुबह होती है। हालांकि, पहली परेड शाम को हुई। बताया जाता है कि परेड देखने के लिए 15 हजार लोगों की भीड़ जमा हुई थी। इस परेड में तीन हजार भारतीय सैन्यकर्मी और 100 से ज्यादा विमानों ने हिस्सा लिया। सेना की तीनों सेनाएं इसका हिस्सा थीं। परेड में नौसेना, इन्फेंट्री, कैवेलरी रेजिमेंट, सर्विसेज रेजिमेंट के अलावा सेना के सात बैंड ने भी हिस्सा लिया।
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