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Dhanteras: धनतेरस पर जानें शुभ मुहूर्त, लक्ष्मी-कुबेर पूजा विधि, मंत्र और खरीदारी का मुहूर्त

• LAST UPDATED : November 10, 2023

India News(इंडिया न्यूज़), Dhanteras: आज देशभर में धनतेरस का त्योहार मनाया जा रहा है। आज धनतेरस 3 शुभ संयोग, हस्त नक्षत्र और प्रीति योग में है। इस दिन प्रदोष काल में देवी लक्ष्मी और कुबेर की विधि-विधान से पूजा की जाती है। उनकी कृपा से धन, संपत्ति, सुख, समृद्धि आदि में वृद्धि होती है। धनतेरस पर सोने और पीतल की वस्तुएं खरीदने का महत्व है।

धनतेरस 3 शुभ संयोग में है

आज धनतेरस के दिन तीन शुभ संयोग बने हैं। आज शुक्रवार देवी लक्ष्मी की पूजा का दिन है और धनतेरस के दिन भी लक्ष्मी पूजा की जाती है। इसके अलावा धनतेरस पर शुक्र प्रदोष व्रत भी है। आज मां लक्ष्मी और कुबेर की पूजा के अलावा भगवान शिव की भी पूजा की जाएगी।

धनतेरस शुभ मुहूर्त

कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ: आज दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से

कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि समाप्त: कल दोपहर 01:57 बजे तक

हस्त नक्षत्र: आज सुबह से दोपहर 12:08 बजे तक

प्रीति योग: आज शाम 05:06 बजे से कल शाम 04:59 बजे तक

धनतेरस पूजा मुहूर्त: आज, शाम 05:47 बजे से शाम 07:47 बजे तक

सोना खरीदने का सर्वोत्तम समय: कल दोपहर 12:35 बजे से सुबह 06:40 बजे तक

धनतेरस 2023 पूजा सामग्री

देवी लक्ष्मी और कुबेर की नई मूर्ति या तस्वीर, नए कपड़े, कमलगट्टा, कमल और लाल गुलाब, फूलों की माला, साबुत धनिया, दूर्वा, कुश, पंच मेवा, अक्षत, हल्दी, रोली, सिन्दूर, दही , दूध, फल, शहद, गंगा जल, चीनी, शुद्ध घी, सुपारी, पान का पत्ता, पंच पल्लव, नैवेद्य, मिठाई, गुलाल, कपूर, रुई की बाती, दीपक, धूप, गंध, इलायची, लौंग, चांदी या सोने का सिक्का, नारियल, बही-खाता, रक्षा सूत्र, इत्र, आदि।

धनतेरस पूजा मंत्र

लक्ष्मी पूजा मंत्र: ॐ श्रीं श्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मि नम:॥

कुबेर पूजा मंत्र: ओम ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः।

धनतेरस 2023 देवी लक्ष्मी और कुबेर की पूजा विधि

आज शुभ मुहूर्त में पूजन सामग्री की व्यवस्था कर लें। फिर शुभ मुहूर्त में एक लकड़ी की चौकी पर कुबेर, गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें। भगवान गणेश को मोदक, देवी लक्ष्मी को खीर और कुबेर जी को धनिये का भोग लगाएं।पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप करें. इसके बाद कलम, बही-खाता आदि की भी पूजा करें। लक्ष्मी चालीसा और कुबेर चालीसा का पाठ करें। माता लक्ष्मी, गणेश जी और कुबेर की आरती करें।

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