India News (इंडिया न्यूज़) : दशहरे यानि विजयादशमी का हिंदु धर्म में काफी महत्व है। बता दें, विजयादशमी पर भगवान राम के साथ शस्त्रों की भी पूजा -अर्चना होती है। माना जाता है इस पर्व की शुरुआत राजा-महाराजाओं ने की थी, जिसकी परम्परा आज तक चली आ रही है। मान्यता तो ऐसी भी है कि दशहरे पर शस्त्रों की पूजा पूरे विधि पूर्वक करने से वरदान की प्राप्ति होती है। इस पूजा से पूरे साल तक शत्रु हमारा बाल भी बांका नहीं कर सकता है। तो आइए जानते हैं जानें शस्त्र पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त !
पहला विजयी मुहूर्त- दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से 02 बजकर 43 मिनट तक
दूसरा विजयी मुहूर्त- इस विजय मुहूर्त की अवधि शाम के समय होती जब आसमान में तारे दिखाई देते हैं।
अपराह्र पूजा का समय- दोपहर 01 बजकर 13 मिनट से 03 बजकर 28 मिनट तक
गोधूलि पूजा मुहूर्त- शाम 05 बजकर 43 मिनट से 06 बजकर 09 मिनट तक
-दशहरे के दिन शस्त्रों की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान कर लें। फिर एक चौकी पर साफ कपड़ा बिछाएं।
-इसके बाद शस्त्रों को साफ करके उनपर गंगाजल छिड़क लें।
-फिर शस्त्रों पर कुमकुम, चंदन, चावल, फूल, दिया जलाकर विधि-विधान के साथ पूजा करें।
-पूजा करते समय भगवान राम और मां काली के मंत्रों का जाप करना न भूलें।
– पूजा के बाज बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें।
-फिर शाम को शस्त्रों की पूजा के बाद रावण दहन करें।
-शस्त्र पूजा करते समय शस्त्रों को बिल्कुल ध्यान से साफ करें।
-शस्त्र पूजा के दौरान छोटे बच्चों को दूर रखें।
-पूजा के दौरान शस्त्रों के साथ कोई भी खिलवाड़ न करें क्योंकि ऐसा करने से कोईबड़ा हादसा भी हो सकता है।