India News (इंडिया न्यूज़) : 27 वर्षीय महिला ने 26 हफ्ते का गर्भ गिराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। महिला की याचिका पर आज यानि गुरुवार को CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई और एक दिन का समय दिया। बता दें , इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 26 हफ्ते से गर्भ में पल रहे बच्चे को जन्म दिन जा सकता है। गर्भावस्था खत्म करने की स्थिति में बच्चे के हार्ट को बंद (मारना) होगा। कोर्ट का इस मामले में कहना है कि भले ही बच्चा गर्भ में है, लेकिन उस बच्चा का भी अधिकार है। गर्भ में बच्चे को मौत की सजा कैसे दी जा सकती है ?
CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह भी कहा कि वह AIIMS की बात सुनेगी। अगर आज बच्चा जन्म लेता है तो वह विसंगतियों के साथ पैदा होगा। सीजेआई ने कहा कि उन्हें अजन्मे बच्चे के अधिकारों को भी देखना होगा। उन्होंने कहा कि मां की स्वायत्ता सर्वोच्च है मगर यहां बच्चे की ओर से कोई पेश नहीं हो रहा है।
उन्होंने कहा कि यह सही है कि यदि अभी बच्चे का प्रसव कराया जाता है, तो इसमें गंभीर मेडिकल की समस्या होगी. ऐसे में दो और सप्ताह क्यों नहीं इंतजार किया जाए? ऐसे में उसे बच्चे को अभी रखने का क्या मतलब है. सीजेआई ने कहा कि आप जैसा कह रही हैं। उसके मुताबिक, गर्भ में पल हरे बच्चे को मौत देना ही केवल विकल्प है, लेकिन जहां तक न्याय व्यवस्था की बात है, तो बच्चे की मौत की सजा कैसे दी जा सकती है?
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