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दुनिया से करना है मुकाबला तो हर हफ्ते 70 घंटे काम करें युवा, इंफोसिस फाउंडर ने दी सलाह

• LAST UPDATED : October 26, 2023
India News ( इंडिया न्यूज) : पिछले दो-तीन दशकों में आर्थिक मोर्चे पर बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले देशों से मुकाबला करने के लिए भारत को अपना वर्क कल्‍चर हर हाल में बदलना होगा। इसके लिए भारतीय युवाओं को काम पर ज्यादा समय बिताना होगा। बता दें, यह कहना है इंफोसिस के को-फाउंडर एनआर नारायणूर्ति का। एनआर नारायणूर्ति की माने तो भारत की कार्य उत्‍पादकता दुनिया में सबसे कम है। इसे बढ़ाने के लिए उन्होंने सलाह देते हुए अपील किया है कि देश के युवा हर सप्‍ताह 70 घंटे काम करें। उनका कहना है कि द्वितीय विश्‍व युद्ध के बाद जापान और जर्मनी ने ऐसा करके ही दुनिया में विकास की बुलंदियों को छुआ था।

यूट्यूब पॉडकास्‍ट में दी सलाह

बता दें, 3वन4 कैपिटल की पॉडकास्‍ट ‘द रिकॉर्ड’ में इंफोसिस के पूर्व सीएफओ मोहनदास पई के साथ बातचीत में नारायणमूर्ति ने देश निर्माण से लेकर तकनीक, आज के युवाओं और अपनी कंपनी इंफोसिस सहित बहुत से विषयों पर अपने विचार रखे। बता दें, यह पॉडकास्‍ट यूट्यूब पर री‍लीज किया गया है। यहाँ जाकर आप पूरा पॉडकास्‍ट सुन सकते हैं।

भारत में इसलिए कम है कार्य उत्‍पादकता

बता दें, मोहनदास पई के साथ बातचीत में नारायणमूर्ति ने भारत की कम कार्य उत्‍पादकता के कारण भी गिनाए। उन्‍होंने कहा कि सरकार में भ्रष्‍टाचार और अफसरशाही की लेटलतीफी कम वर्क प्रोडक्टिविटी के सबसे बड़े कारण हैं। नारायणमूर्ति ने यह भी कहा, “ भारत की कार्य उत्‍पादकता विश्वभर में सबसे कम है। जब तक हम सरकारी स्‍तर पर भ्रष्‍टाचार कम नहीं कर लेते, अफसशाही की लेटलतीफी पर अंकुश नहीं लगा लेते तब तक हम उन देशों का मुकाबला नहीं कर सकते जिन्‍होंने जबरदस्‍त तरक्‍की की है।”

युवाओं को आगे आना ही होगा

इसके आगे नारायणमूर्ति ने अपील किया कि देश की कार्य उत्‍पादकता बढ़ाने के लिए युवाओं को आगे आना ही होगा। उन्‍होंने कहा, “मेरी यंगस्‍टर्स से अपील है कि वो आगे आएं और कहें, ये मेरा देश है। मैं सप्‍ताह में 70 घंटे काम करना पसंद करुंगा।” नारायणमूर्ति ने इसके पीछे उदाहरण देते हुए कहा कि द्वितीय विश्‍व युद्ध के बाद जापान और जर्मनी ने ऐसा ही किया था। दोनों देशों ने कई सालों तक यह सुनिश्चित किया कि उनके नागरिक कुछ अतिरिक्‍त घंटे काम करें। तब जाकर वो आज सफलता की बुलंदियों पर हैं।

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