India News (इंडिया न्यूज़) : संसद के विशेष सत्र का आज पहला दिन है। पुराने संसद भवन के भीतर अंतिम बार संसद के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भावुक कर देने वाली बातें कहीं। पीएम ने कहा कि यह सही है कि इस इमारत(पुराने संसद भवन) के निर्माण करने का निर्णय विदेश शासकों का था लेकिन यह बात हम न कभी भूल सकते हैं और हम गर्व से कह सकते हैं इस भवन के निर्माण में पसीना मेरे देशवासियों का लगा था, परिश्रम मेरे देशवासियों का लगा था और पैसे भी मेरे देश के लोगों के थे। इसके आगे पीएम ने कहा कि
इस 75 वर्ष की हमारी यात्रा ने अनेक लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं का उत्तम से उत्तम सृजन किया है और इस सदन में रहे प्रत्येक व्यक्ति ने सक्रियता से योगदान भी दिया है और साक्षी भाव से उसे देखा भी है। हम भले नए भवन में जाएंगे लेकिन पुराना भवन यानि यह भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।
आगे, पीएम ने कहा कि आज आपने एक स्वर से G-20 की सफलता की सराहना की है। मैं आपका आभार व्यक्त करता हूं। G-20 की सफलता देश के 140 करोड़ नागरिकों की सफलता है। यह भारत की सफलता है, किसी व्यक्ति या पार्टी की नहीं। यह हम सभी के लिए जश्न मनाने का विषय है।
मैं पहली बार जब संसद का सदस्य बना और पहली बार एक सांसद के रूप में इस भवन में जब मैंने प्रवेश किया तो सहज रूप से इस सदन के द्वार पर अपना शीश झुकाकर अपना पहला क़दम रखा था, वह पल मेरे लिए भावनाओं से भरा हुआ था। इस सदन से विदाई लेना एक बेहद भावुक पल है, परिवार भी अगर पुराना घर छोड़कर नए घर जाता है तो बहुत सारी यादें उसे कुछ पल के लिए झकझोर देती है और हम यह सदन को छोड़कर जा रहे हैं तो हमारा मन मस्तिष्क भी उन भावनाओं से भरा हुआ है और अनेक यादों से भरा हुआ है। उत्सव-उमंग, खट्टे-मीठे पल, नोक-झोंक इन यादों के साथ जुड़ा है।
मैं पहली बार जब संसद का सदस्य बना और पहली बार एक सांसद के रूप में इस भवन में जब मैंने प्रवेश किया तो सहज रूप से इस सदन के द्वार पर अपना शीश झुकाकर अपना पहला क़दम रखा था वह पल मेरे लिए भावनाओं से भरा हुआ था। मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि रेलवे प्लेटफॉर्म पर रहने वाला एक गरीब परिवार का बच्चा कभी संसद में प्रवेश कर पाएगा। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे लोगों से इतना प्यार मिलेगा। इसके आगे पीएम ने यह भी कहा कि ‘इसी भवन में दो साल 11 महीने तक संविधान सभा की बैठकें हुईं और देश के लिए एक मार्ग दर्शक जो आज भी हमें चलाते हैं उन्होंने हमें संविधान दिया। हमारा संविधान लागू हुआ, इन 75 वर्षों में सबसे बड़ी उपलब्धि देश के सामान्य मानवीय का इस संसद पर विश्वास बढ़ना रहा है।
अपने सम्बोधन कि अंत में पीएम ने कहा ‘जब आतंकी(संसद भवन पर) हमला हुआ यह आतंकी हमला किसी इमारत पर नहीं बल्कि एक प्रकार से लोकतंत्र की जननी, हमारी जीवित आत्मा पर हमला था। उस घटना को देश कभी नहीं भूल सकता। मैं उन लोगों को भी नमन करता हूं जिन्होंने आतंकवादियों से लड़ते हुए संसद और उसके सभी सदस्यों की रक्षा के लिए अपने सीने पर गोलियां खाईं। इसके आगे उन्होंने कहा कि ‘वर्तमान सांसदों के लिए यह विशेष सौभाग्य का विषय है और वह इसलिए क्योंकि हमें इतिहास और भविष्य दोनों की कड़ी का हिस्सा होने का अवसर मिला है। हम नए संसद में जाएंगे तो एक नए विश्वास के साथ जाएंगे। मैं सभी सदस्यों व अन्य के द्वारा दिए गए अपने योगदान के लिए धन्यवाद करता हूं।