India News(इंडिया न्यूज़), Second Marriage: भारत में शादी से जुड़े कई खास नियम-कायदे हैं। अक्सर आपने ऐसी कई खबरें सुनी होंगी जहां सुना होगा कि किसी शख्स ने दूसरी शादी कर ली है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि भारत में दूसरी शादी से जुड़े नियम और कानून क्या हैं?
दरअसल, भारत में हिंदू विवाह अधिनियम के तहत पति/पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करना अपराध माना जाता है। लेकिन दूसरी शादी के कई मायने होते हैं जैसे तलाक के बाद या जीवनसाथी की मृत्यु के बाद शादी। और ऐसी स्थिति में विवाह के लिए क्या प्रावधान हैं? भारत में दूसरी शादी के लिए दो चीजें बहुत जरूरी हैं। पहला यह कि दूसरी शादी करने वाला व्यक्ति तलाकशुदा हो या उसके जीवनसाथी की मृत्यु हो गई हो। ऐसे में दूसरी शादी से संबंधित कानून का प्रावधान किया गया है। आइए समझते हैं कि दोनों स्थितियों में दूसरी शादी कैसे की जा सकती है।
कानून में जीवनसाथी की मृत्यु के बाद दूसरी शादी का प्रावधान है। जीवन साथी की मृत्यु के बाद केवल पर्सनल लॉ द्वारा ही विवाह किया जा सकता है। पर्सनल लॉ के तहत विवाह के लिए, आपको अपने मृत पति या पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र विवाह रजिस्ट्रार को प्रस्तुत करना होगा। इसके बाद वे विवाह रजिस्ट्रार के समक्ष अपनी दूसरी शादी का पंजीकरण करा सकते हैं।
अगर पहले पति या पत्नी का तलाक हो चुका है तो भी दूसरी शादी हो सकती है। इसके लिए भी दूसरी शादी के दौरान कोर्ट द्वारा दिए गए तलाक के अंतिम आदेश की कॉपी मैरिज रजिस्ट्रार के सामने पेश करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा तलाक के मामलों में दूसरी शादी के प्रावधान में समय सीमा भी अहम है।
आपसी सहमति से तलाक की स्थिति में दूसरी शादी के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है। विवादित तलाक के मामले में, हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत, तलाक की डिक्री प्राप्त होने के बाद 90 दिनों तक दूसरी शादी के लिए इंतजार करना पड़ता है।
एकतरफा तलाक के मामले में तलाक की डिक्री मिलने के 6 महीने बाद ही दूसरी शादी करने का प्रावधान है। यह भी ध्यान रखना होगा कि अगर किसी ने फैमिली कोर्ट के तलाक के फैसले से असंतुष्ट होकर हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की है तो मामला लंबित माना जाएगा और इस दौरान दोनों पक्षों की कोई सुनवाई नहीं होगी। दोबारा शादी करने की इजाजत
क्या जीवनसाथी के जीवित रहते दूसरी शादी की जा सकती है?
कुछ परिस्थितियों में पति या पत्नी के होते हुए भी दूसरी शादी करना भारतीय कानून में अपराध माना जाता है। आईपीसी की धारा 494 पति/पत्नी की मौजूदगी में दूसरी शादी को दंडनीय अपराध बनाती है और इसके लिए कारावास का भी प्रावधान है। इसी तरह विशेष विवाह अधिनियम की धारा 44 के तहत ऐसे विवाह को अपराध करार दिया गया है। लेकिन अगर दूसरी शादी किसी धार्मिक मामले से जुड़ी है तो इस स्थिति में छूट मिल सकती है।
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