India News(इंडिया न्यूज़), Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में फिलहाल ज्यादातर दोषियों का कोई सुराग नहीं है। 11 में से कम से कम 9 दोषी इस वक्त अपने-अपने घर पर नहीं हैं और यहां तक कि उनके परिवार वालों को भी उनके बारे में जानकारी नहीं है। सोमवार (8 जनवरी, 2024) को इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कुछ घंटों बाद जब कुछ मीडियाकर्मी गुजरात के दाहोद में दोषियों के गांव (राधिकापुर और सिंगवाड) पहुंचे, तो उन्हें दरवाजे पर ताले लटके मिले। मकानों।
दोषियों में से एक अखमभाई चतुरभाई रावल के पिता गोविंद नाई (55) ने दावा किया कि उनका बेटा निर्दोष है। उन्होंने आरोप को ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ करार देते हुए कहा कि गोविंद एक हफ्ते पहले घर छोड़कर चले गए थे। अखामभाई के मुताबिक, “मेरी इच्छा और प्रार्थना है कि वह (गोविंद) अयोध्या के मंदिर स्थापना (राम मंदिर) में सेवा करें। कुछ भी नहीं करने और इधर-उधर करने से बेहतर है कि सेवा की जाए।
रावल के मुताबिक जेल जाना कोई बड़ी बात नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि वह गैरकानूनी तरीके से जेल से बाहर आए हैं। कानूनी प्रक्रिया के तहत उन्हें रिहा कर दिया गया और अब कानून ने उन्हें वापस अंदर जाने के लिए कहा है, इसलिए वह दोबारा वहां जाएंगे। वह 20 साल से जेल में हैं, इसलिए परिवार के लिए यह कोई नई बात नहीं है। इस बीच पुलिस ने बताया कि गोविंद शनिवार (6 जनवरी 2024) को घर से निकला था। उनके परिवार वालों का कहना है कि वे हिंदू धर्म को मानने वाले लोग हैं और ‘अपराध नहीं कर सकते’।
इसी तरह एक अन्य दोषी राधेश्याम शाह भी करीब 15 माह से घर पर नहीं है। उनके पिता भगवानदास शाह ने दावा किया कि उन्हें अपने बेटे के बारे में कुछ नहीं पता। वह अपनी पत्नी और बेटे को साथ लेकर घर से निकल गया। मामले में एक अन्य आरोपी प्रदीप मोधिया (57) भी फिलहाल लापता हैं। वहीं, ग्रामीणों ने अखबार को आगे बताया, “अब आप उन्हें (दोषियों को) नहीं ढूंढ पाएंगे। सभी के घरों में फिलहाल ताला लगा हुआ है और वे अपने घरों से भाग गए हैं।”
शीर्ष अदालत ने दोषियों की आजादी की रक्षा करने और उन्हें जेल से बाहर रखने की याचिका को स्वीकार करने से इनकार करते हुए कहा कि जहां कानून का शासन लागू करने की जरूरत है, वहां करुणा और सहानुभूति की कोई भूमिका नहीं है।
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