India News(इंडिया न्यूज़), Covid: कोरोना वायरस की शुरुआत 2019 के अंत में चीन से हुई थी, तब इसके कुछ वेरिएंट इतने खतरनाक साबित हुए कि उन्होंने तबाही मचा दी। कुछ हल्के प्रभाव वाले थे। हालांकि, 2021 के खत्म होने के बाद सामने आए कोविड यानी ओमीक्रॉन वायरस के वेरिएंट उतने खतरनाक नहीं रहे। सवाल उठता है कि किसी भी वायरस के वेरिएंट कैसे पैदा होते रहते हैं। क्या वे मजबूत हैं या कमजोर? दुनिया में जिस तरह से कोविड का नया वेरिएंट जेएन1 फैल रहा है, उससे चिंताएं बढ़ गई हैं। आइए जानते हैं क्यों आ रहे हैं कोरोना वायरस के नए वेरिएंट। हमारे लिए इसका क्या मतलब है?
वैज्ञानिक कह रहे हैं कि JN1 कोरोना वायरस BA.2.86 के वंश का एक प्रकार है। आइए जानते हैं कि क्यों अचानक एक वायरस वैरिएंट दुनिया में कहर बरपाने लगता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि दरअसल वायरस लगातार बदलते रहते हैं और वायरस के म्यूटेंट बनने का सिलसिला रुकता नहीं है।
वायरस के कुछ म्यूटेंट इसे नए वैरिएंट में बदल देते हैं। वहीं, कुछ ऐसे म्यूटेशन या बदलाव भी होते हैं जिनकी वजह से वायरस तेजी से फैलने की क्षमता हासिल कर लेता है। इससे वायरस आसानी से फैलता है। वहीं, कुछ उत्परिवर्तन वायरस को इसके उपचार या वैक्सीन के प्रति प्रतिरोधी बना देते हैं। यानी वैक्सीन या इलाज इस पर बेअसर रहता है।
वायरस में ऐसे उत्परिवर्तन, जो इसे खतरनाक बना दें, हमेशा संभव नहीं होते हैं। जो वेरिएंट बड़ी संख्या में लोगों में संक्रमण फैलाते हैं, उनमें मल्टीपल म्यूटेशन होने की संभावना अधिक होती है। गौर करने वाली बात यह भी है कि ज्यादातर म्यूटेशन का वायरस पर कोई बड़ा असर नहीं होता है।
जो वायरस ज्यादा फैलता है, वह बदलता भी ज्यादा है। नई परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को ढाल लेता है। यह शरीर को नुकसान पहुंचाता है और अपनी संख्या बढ़ाता है और खुद को बचाने के लिए बदलता रहता है। ऐसे में संक्रमण का बढ़ता प्रसार वैज्ञानिकों के लिए चिंता का कारण बन जाता है। JN1 वैरिएंट अभी खतरनाक स्तर तक नहीं पहुंचा है।
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