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Govardhan puja 2023: गोवर्धन पूजा पर जरूर करें इस चालीसा का पाठ, मिट जाएंगे हर दुख

• LAST UPDATED : November 13, 2023

India News(इंडिया न्यूज़), Govardhan puja 2023: गोवर्धन पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को की जाती है। कहा जाता है कि जो भी इस दिन सच्चे मन और श्रद्धा से पूजा करता है उसे सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। आपको बता दें कि दिन में दो बार गोवर्धन चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को हर तरह से सुख मिलता है और व्यक्ति बेहद खुश रहता है।

श्रीगिरिराज चालीसा

जय हो जग बंदित गिरिराजा ।

ब्रज मण्डल के श्री महाराजा ।।

विष्णु रूप तुम हो अवतारी ।

सुन्दरता पर जग बलिहारी ।।

स्वर्ण शिखर अति शोभा पावें ।

सुर-मुनिगण दरशन कुं आवें ।।

शांत कंदरा स्वर्ग समाना ।

जहां तपस्वी धरते ध्याना ।।

द्रोणागिरि के तुम युवराजा ।

भक्तन के साधौ हौ काजा ।।

लखि ब्रजभूमि यहां ठहराये ।।

बिष्णु-धाम गौलोक सुहावन ।

यमुना गोवर्धन वृन्दावन ।।

देव देखि मन में ललचाये ।

बास करन बहु रूप बनाये ।।

कोउ वृक्ष कोउ लता स्वरूपा ।।

आनंद लें गोलोक धाम के ।

परम उपासक रूप नाम के ।।

द्वापर अंत भये अवतारी ।

कृष्णचन्द्र आनंद मुरारी ।।

महिमा तुम्हरी कृष्ण बखानी ।

पूजा करिबे की मन ठानी ।।

ब्रजवासी सब लिये बुलाई ।

गोवर्धन पूजा करवाई ।।

पूजन कूं व्यंजन बनवाये ।

ब्रज-वासी घर घर तें लाये ।।

ग्वाल-बाल मिलि पूजा कीनी ।

सहस्त्र भुजा तुमने कर लीनी ।।

स्वयं प्रकट हो कृष्ण पुजावें ।

माँग-माँग के भोजन पावें ।।

लखि नर-नारी मन हरषावें ।

जै जै जै गिरवर गुण गावें ।।

देवराज मन में रिसियाए ।

नष्ट करन ब्रज मेघ बुलाए ।।

छाया कर ब्रज लियौ बचाई ।

एकऊ बूँद न नीचे आई ।।

सात दिवस भई बरखा भारी ।

थके मेघ भारी जल-धारी ।।

कृष्णचन्द्र ने नख पै धारे ।

नमो नमो ब्रज के रखवारे ।।

कर अभिमान थके सुरराई ।

क्षमा मांग पुनि अस्तुति गाई ।।

त्राहिमाम मैं शरण तिहारी ।

क्षमा करौ प्रभु चूक हमारी ।।

बार-बार बिनती अति कीनी ।

सात कोस परिकम्मा दीनी ।।

सँग सुरभी ऐरावत लाये ।

हाथ जोड़ कर भेंट गहाये ।।

अभयदान पा इन्द्र सिहाये ।

करि प्रणाम निज लोक सिधाये ।।

जो कथा सुनें, चित लावें ।

अन्त समय सुरपति पद पावें ।।

गोवर्धन है नाम तिहारौ ।

करते भक्तन कौ निस्तारौ ।।

जो नर तुम्हरे दर्शन पावें ।

तिनके दु:ख दूर ह्वै जावें ।।

कुण्डन में जो करें आचमन ।

धन्य-धन्य वह मानव जीवन ।।

मानसी गंगा में जो नहावें ।

सीधे स्वर्ग लोक कूं जावें ।।

दूध चढ़ा जो भोग लगावें ।

जल, फल, तुलसी-पत्र चढ़ावें ।

मनवांछित फल निश्चय पावें ।।

जो नर देत दूध की धारा ।

भरौ रहै ताकौ भंडारा ।।

करें जागरण जो नर कोई ।

दु:ख-दारिद्रय-भय ताहि न होई ।।

श्याम शिलामय निज जन त्राता ।

भुक्ति-मुक्ति सरबस के दाता ।।

पुत्रहीन जो तुमकूं ध्यावै ।

ताकूं पुत्र-प्राप्ति ह्वै जावै ।।

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