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ISRO: भविष्य के ‘अंतरिक्षयान’ को PM मोदी ने दिया ये नाम, रामायण काल से है जुड़ा

• LAST UPDATED : February 28, 2024
India News(इंडिया न्यूज़), ISRO: आरएलवी-टीडी वास्तव में एक विशेष प्रकार का अंतरिक्ष यान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के दौरे के दौरान इसका बड़ा रूप देखा। यह विमान पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान है। जिसका उपयोग भविष्य में उपग्रहों और कार्गो को अंतरिक्ष में ले जाने के लिए किया जाएगा। इसे पुष्पक नाम दिया गया है। आइए जानते हैं कितने और किस तरह के टेस्ट किए गए हैं। इसरो, डीआरडीओ और आईएएफ ने संयुक्त रूप से 2 अप्रैल 2023 को कर्नाटक के चित्रदुर्ग में परीक्षण किया। आरएलवी-टीडी की लैंडिंग कराई गई। आरएलवी को चिनूक हेलीकॉप्टर से साढ़े चार किमी की ऊंचाई से छोड़ा गया। यान ने सफल लैंडिंग की।

करेगा सब कुछ (ISRO)

इतना ही नहीं इसके जरिए किसी भी देश की जासूसी की जा सकती है। या यहां तक कि हमला भी। या फिर अंतरिक्ष में ही दुश्मन के सैटेलाइट को नष्ट कर सकता है। अमेरिका, रूस और चीन भी ऐसी ही तकनीक का फायदा उठाना चाहते हैं। यह एक स्वचालित पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान है। ऐसे विमानों से डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) दागे जा सकते हैं। आरएलवी के जरिए पावर ग्रिड को उड़ाने या कंप्यूटर सिस्टम को नष्ट करने जैसे काम भी किए जा सकते हैं। इसरो का लक्ष्य इस प्रोजेक्ट को साल 2030 तक पूरा करना है। ताकि बार-बार रॉकेट बनाने का खर्च बच जाए। इससे सैटेलाइट लॉन्च की लागत 10 गुना कम हो जाएगी। कुछ मेंटेनेंस के बाद इसे दोबारा लॉन्च किया जा सकता है।

भविष्य में अंतरिक्ष की यात्रा भी कराएगा

सैटेलाइट लॉन्च किया जा सकता है। भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान के नवीनतम और अगले संस्करण के साथ भी अंतरिक्ष में भेजा जा सकता है। फिलहाल अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन और जापान ही ऐसे अंतरिक्ष शटल बना रहे हैं। रूस ने 1989 में ऐसा ही एक शटल बनाया था जो केवल एक बार उड़ान भरता था। पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान की परीक्षण उड़ान 2016 में हुई थी। फिर इसे रॉकेट पर स्थापित किया गया और अंतरिक्ष में छोड़ा गया। इसने लगभग 65 किमी तक हाइपरसोनिक गति से उड़ान भरी। इसके बाद वह 180 डिग्री घूमकर वापस आ गए। 6.5 मीटर लंबे इस अंतरिक्ष यान का वजन 1.75 टन है। बाद में इसे बंगाल की खाड़ी में उतारा गया।

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