India News(इंडिया न्यूज़), Jammu Kashmir: भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 11 दिसंबर को अनुच्छेद 370 और 35 (ए) को हटाने पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में भारत की संप्रभुता और अखंडता को बरकरार रखा है, जिसे हर भारतीय ने हमेशा संजोकर रखा है। कोर्ट ने इस तथ्य को भी माना कि अनुच्छेद 370 का स्वरूप स्थायी नहीं है।
मुझे अपने जीवन के शुरुआती दौर से ही जम्मू-कश्मीर आंदोलन से जुड़े रहने का अवसर मिला है। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को नेहरू मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण विभाग मिला था और वे लम्बे समय तक सरकार में बने रह सकते थे। फिर भी उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर कैबिनेट छोड़ दी और आगे का कठिन रास्ता चुना,भले ही इसके लिए उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी। कई वर्षों बाद अटल ने श्रीनगर की एक सार्वजनिक सभा में ‘मानवता, लोकतंत्र और कश्मीरियत’ का प्रभावशाली संदेश दिया, जो सदैव प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत रहा है।
मेरी भी प्रबल इच्छा थी कि मैं इस कलंक और अन्याय को मिटाने के लिए जो कुछ भी कर सकूँ, करूँ। सीधे शब्दों में कहें तो अनुच्छेद 370 और 35(ए) जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए बड़ी बाधाएं थीं। मैं एक बात को लेकर बहुत स्पष्ट था की जम्मू-कश्मीर के लोग विकास चाहते हैं। मुझे याद है, 2014 में हमारे सत्ता संभालने के तुरंत बाद, जम्मू-कश्मीर में विनाशकारी बाढ़ आई थी। सितंबर 2014 में मैं स्थिति का आकलन करने के लिए श्रीनगर गया था। पुनर्वास के लिए 1000 करोड़ रुपये की भी घोषणा की। इससे लोगों में यह संदेश भी गया कि हमारी सरकार संकट के समय वहां के लोगों की मदद के लिए कितनी संवेदनशील है। उस साल मैंने जम्मू-कश्मीर में जान गंवाने वाले लोगों की याद में दिवाली नहीं मनाने का फैसला किया।
मई 2014 से मार्च 2019 के बीच 150 से अधिक मंत्रिस्तरीय दौरे हुए। यह एक रिकॉर्ड है। युवाओं के सपनों को साकार करने के लिए खेल शक्ति की क्षमता को पहचानते हुए हमने जम्मू-कश्मीर में इसका भरपूर उपयोग किया। मुझे प्रतिभाशाली फुटबॉल खिलाड़ी अफशां आशिक का नाम याद आ रहा है। वह दिसंबर 2014 में श्रीनगर में पथराव करने वाले समूह का हिस्सा थी।
5 अगस्त का ऐतिहासिक दिन हर भारतीय के दिल और दिमाग में बसा हुआ है। हमारी संसद ने अनुच्छेद 370 को हटाने का ऐतिहासिक फैसला पारित किया। तब से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बहुत कुछ बदल गया है। 5 अगस्त 2019 ने सब कुछ बदल दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसंबर के अपने फैसले में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत किया है। आज जम्मू-कश्मीर में विकास, लोकतंत्र और सम्मान की जगह मोहभंग, निराशा और हताशा ने ले ली है।
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