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Lal Krishna Advani: लाल कृष्ण आडवाणी का राजनीतिक सफर, राम मंदिर निर्माण में थी अहम भूमिका

India News(इंडिया न्यूज़), Lal Krishna Advani: अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो गया है। राम मंदिर उसी स्थान पर बना है जहां कभी विवादित बाबरी ढांचा खड़ा था। दशकों तक लड़ाई चलती रही और आख़िरकार सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष के पक्ष में फैसला सुनाया। राम जन्मभूमि की लड़ाई में 1990 एक अहम पड़ाव था और इस पड़ाव के केंद्र में थे बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी। भारतीय जनता पार्टी के नेता और देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिया जाएगा।

सोमनाथ से अयोध्या तक की यात्रा

1990 में, आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा की घोषणा की। सोमनाथ वही शहर है जहां के प्रसिद्ध मंदिर को मुस्लिम आक्रमणकारियों ने लूट लिया था और नष्ट कर दिया था। एक वाहन को रथ का आकार दिया गया और 25 सितंबर 1990 को सोमनाथ से आडवाणी की रथयात्रा शुरू हुई। आगे बढ़ने से पहले, आडवाणी ने एक भाषण दिया जो ‘राम की सौगंध, मंदिर हम ही बनाएंगे’ कहकर खत्म हुआ।

‘माई कंट्री माई लाइफ’ में इस बात का जिक्र

सोमनाथ से यात्रा शुरू करने का उद्देश्य ‘अयोध्या को मुस्लिम आक्रमणों के ऐतिहासिक अनुक्रम में दिखाना और फिर मंदिर आंदोलन के समानांतर खींचना और इसके लिए स्वीकृति प्राप्त करना था।’ इस बात का जिक्र आडवाणी ने अपनी किताब ‘माई कंट्री माई लाइफ’ में भी किया है। कई रिपोर्टों से पता चलता है कि रास्ते में रथ यात्रा का जोरदार स्वागत हुआ। लोगों ने मंदिर की घंटियां और थालियां बजाकर और नारे लगाकर रथ का स्वागत किया। लोग रथ पर तिलक और उसके पहियों की धूल अपने माथे पर लगाते हैं। गुजरात में रथ यात्रा को सफल बनाने में नरेंद्र मोदी का बड़ा योगदान था। रथ पर आडवाणी के साथ उनकी तस्वीर आज भी देखी जा सकती है।

लगे थे ये आरोप

रथयात्रा के दौरान आडवाणी जगह-जगह रुकते थे और भाषण देते थे। आरोप है कि आडवाणी के भाषण से हिंदू भड़क जाते। इसी वजह से कई जगहों पर दंगे भड़क उठे। हालांकि, तय कार्यक्रम के अनुसार, रथ यात्रा को 30 अक्टूबर 1992 को अयोध्या पहुंचना था। आडवाणी का दलबदल 22 अक्टूबर को बिहार के समस्तीपुर में था। फिर उसी रात उसे गिरफ्तार कर लिया गया। मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने आडवाणी को दुमका के गेस्ट हाउस में नजरबंद कर दिया। हालांकि, 30 अक्टूबर को देशभर से कारसेवक अयोध्या पहुंच गए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आदेश पर पुलिस ने उन कारसेवकों पर गोली चला दी। दावा किया गया कि इस पुलिस फायरिंग में 55 रामभक्त मारे गए। हालांकि, उत्तर प्रदेश पुलिस ने सिर्फ 17 कारसेवकों की मौत की बात स्वीकारी है।

बाबरी मस्जिद के गुंबद गिरने लगे

दो साल बाद 30 अक्टूबर 1992 को विश्व हिंदू परिषद ने बाबरी मस्जिद से सटी ज़मीन पर राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करने की घोषणा की। इस घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने आडवाणी से संपर्क रखना शुरू कर दिया। जब राव और आडवाणी ने आश्वासन दिया तो 28 नवंबर 1992 को सुप्रीम कोर्ट ने इजाजत दे दी कि कार सेवक 6 दिसंबर को अयोध्या में भजन का आयोजन कर सकते हैं।

लाल कृष्ण आडवाणी अयोध्या पहुंचे। उनके साथ मुरली मनोहर जोशी भी थे। दोनों ने 5 दिसंबर की रात जानकी महल धर्मशाला में बिताई। अगली सुबह 10.30 बजे वह बाबरी मस्जिद स्थल पर पहुंचे। वहां वीएचपी नेता अशोक सिंघल, बीजेपी नेता विजयाराजे सिंधिया और उमा भारती, बजरंग दल के विनय कटियार और कुछ साधुओं समेत लाखों की भीड़ मौजूद थी। दोपहर होते-होते कुछ लोग अचानक मस्जिद के गुंबदों पर चढ़ने लगे। आडवाणी ने माइक से ऐसा न करने की अपील की। विजयाराजे सिंधिया भी बार-बार गुहार लगाती रहीं, लेकिन गुंबदों पर भीड़ बढ़ती गई। दोपहर करीब 1:55 बजे पहला गुंबद ढह गया।

राम मंदिर से राम राज्य की कल्पना (Lal Krishna Advani)

6 अप्रैल 2004 को भारत उदय यात्रा के तहत आडवाणी अयोध्या में थे। उस समय उपप्रधानमंत्री रहे आडवाणी ने कहा, ‘बीजेपी के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन में भाग लेना धर्म से प्रेरित नहीं था। हम तत्कालीन कांग्रेस सरकार के पाखंड और दोहरे मानदंडों से नाराज थे और इस अवसर का उपयोग भारत में धर्मनिरपेक्षता पर एक आवश्यक बहस शुरू करने के लिए किया। इससे सभी धार्मिक समुदायों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर समान ध्यान देने का रास्ता खुल गया।

इसी प्रकार, जाति के आधार पर हिंदू समाज को खंडित करने के प्रयासों के खिलाफ अयोध्या आंदोलन एक प्रभावी हथियार साबित हुआ। मेरा मानना है कि 1989 और 1996 के बीच भाजपा की असाधारण वृद्धि का श्रेय राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रति उसके समर्थन को दिया जा सकता है। हमारे लिए अयोध्या सदैव राष्ट्रीय जागरण का सशक्त प्रतीक बनी रहेगी। अयोध्या में भगवान राम की जन्मस्थली पर भव्य मंदिर के निर्माण से करोड़ों हिंदुओं की भावनाएं जुड़ी हुई हैं।

लाल कृष्ण आडवाणी को मिलेगा भारत रत्न

भारतीय जनता पार्टी के नेता और देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि वह हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक हैं। भारत के विकास में उनका योगदान न भुलने वाली है। उनका जीवन जमीनी स्तर पर काम करने से लेकर हमारे उपप्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा करने तक शुरू होता है। उन्होंने देश के गृह मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। उनके संसदीय हस्तक्षेप हमेशा अनुकरणीय और समृद्ध अंतर्दृष्टि से भरे रहे हैं।

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Nidhi Jha

Journalist, India News, ITV network.

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