India News (इंडिया न्यूज़) : आज शारदीय नवरात्रि का पांचवा दिन है। बता दें, यह दिन मां स्कंदमाता को समर्पित होता है। इस दिन पूरे विधि-विधान से माता रानी के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है। मान्यता है जो भक्त पूरे श्रद्धाभाव से मां के इस रूप की पूजा करते हैं उन्हें माता की विशेष कृपा मिलती है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम दिया गया है। भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं।
माँ स्कंदमाता के रूप को जानें
छान्दोगय उपनिषद् के प्रवर्तक सनत्कुमार की माता भगवती का नाम स्कंद है। अतः उनकी माता होने से कल्याणकारी शक्ति की अधिष्ठात्री देवी पांचवी दुर्गा स्कंदमाता के रूप में पूजी जाती हैं। अपने सांसारिक स्वरूप में यह देवी सिंह पर विराजमान हैं। इस दुर्गा का स्वरूप दोनों हाथों में कमलदल लिए हुए और एक हाथ से अपनी गोद में ब्रह्मस्वरूप सनत्कुमार को थामे हुए है। यह दुर्गा समस्त ज्ञान, विज्ञान, धर्म, कर्म और कृषि उद्योग सहित पंच आवरणों से समाहित विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहलाती हैं। इस देवी की पूजा के दौरान धनुष बाण का अर्पण करना भी शुभ रहता है। स्कंद माता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्रि देवी हैं इसलिए माता के चारों ओर सूर्य जैसा अलौकिक तजोमय मंडल व्याप्त है।
ऐसे करें मां स्कंदमाता की पूजा
सबसे पहले चौकी (बाजोट) पर स्कंदमाता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। फिर चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर कलश रखें। इसके बाद उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका (सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें। इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें।
मां स्कंदमाता का पूजा मंत्र
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥
ॐ देवी स्कंदमातायै नमः॥
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