India News(इंडिया न्यूज़), Magh Gupt Navratri 2024: आज गुप्त नवरात्रि का दूसरा दिन मनाया जा रहा है। गुप्त नवरात्रि का दूसरा दिन मां तारा की पूजा आराधना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन प्रमुख तांत्रिकों में से एक मानी जाने वाली तारा महाविद्या की पूजा करने की परंपरा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में सबसे पहले महर्षि वशिष्ठ ने देवी तारा की पूजा की थी। उनके तीन रूप हैं, तारा, एकजटा और नील सरस्वती।
तारा देवी की पूजा का महत्व
भारत के पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में तारापीठ नाम का एक धार्मिक स्थान है। ऐसा माना जाता है कि यहां देवी सती की आंखें गिरी थीं, जिसके कारण इस स्थान को नयन तारा भी कहा जाता है। यहां की लोक मान्यता के अनुसार वामाखेपा नामक साधक ने इस मंदिर में देवी तारा की आराधना कर सिद्धियां प्राप्त की थीं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो भी व्यक्ति देवी मां से प्रार्थना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं तुरंत पूरी हो जाती हैं। इसके अलावा पूजा के बाद तारा महाविद्या के कुछ विशेष मंत्रों का जाप करना चाहिए।
मां तारा देवी की पूजा विधि
- मां तारा की पूजा हमेशा एकांत कमरे में करें, जिस स्थान पर आप पूजा करें उस स्थान पर आपके अलावा कोई भी मौजूद नहीं होना चाहिए।
- पूजा करने से पहले स्नान करें। इसके बाद सफेद रंग की धोती पहनें।
- मां तारा की पूजा सदैव रात्रि में की जाती है। इसलिए मां तारा की पूजा हमेशा आधी रात को ही करें।
- पूजा मंच पर गंगा जल छिड़क कर शुद्ध करें।
- चौकी पर गुलाबी रंग का कपड़ा बिछाकर गुलाब के फूल रखें और तारा यंत्र स्थापित करके यंत्र के चारों ओर चावल की ढेरियां बना लें।
- चावल की चारों ढेरियों पर एक-एक लौंग रखकर तारा यंत्र के सामने घी का दीपक जलाएं और मंत्र का जाप करते हुए श्रद्धापूर्वक मां तारा की कथा सुनें। कथा सुनने के बाद आरती करें।
- पूजा करने के बाद पूजा में इस्तेमाल की गई सभी सामग्रियों को किसी बहती नदी में प्रवाहित कर दें या फिर किसी पीपल के पेड़ के नीचे जमीन में गड्ढा खोदकर दबा सकते हैं।
मंत्र
नीले कांच की माला से प्रतिदिन 12 बार ‘ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट्’ मंत्र का जाप करें। ऐसा माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि के दौरान इस मंत्र का 10,000 बार जाप करने से यह सिद्ध हो सकता है। इसके अलावा तारा महाविद्या को प्रसन्न करने के लिए तारा कवच का पाठ भी कर सकते हैं।