India News(इंडिया न्यूज़), New Year 2024: आज हर कोई नए साल का इंतजार कर रहा है, नया साल यानी 1 जनवरी आने में बस कुछ ही घंटे बचे हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पूरी दुनिया 1 जनवरी को ही नया साल क्यों मनाती है? 1 फरवरी, 1 मार्च या 1 नवंबर या दिसंबर को क्यों नहीं? यहां हम कुछ रोचक जानकारी के साथ नए साल के इतिहास, महत्व और जश्न के बारे में बात करेंगे।
दरअसल, कैलेंडर का चलन 45 ईसा पूर्व रोमन साम्राज्य में शुरू हुआ था। तत्कालीन रोमन राजा नुमा पोम्पिलस के समय रोमन कैलेंडर में केवल 10 महीने होते थे। यह महीना मार्च से शुरू होता था और साल में 310 दिन और 8 दिन के सप्ताह होते थे। तब खगोलशास्त्रियों ने बताया कि पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमा 365 दिन और छह घंटे में पूरी करती है। यह जानकारी मिलने के बाद जूलियस सीजर ने कैलेंडर में 12 महीने जोड़ दिए। कुछ समय बाद नुमा ने कैलेंडर में कुछ बदलाव किये और मार्च की जगह जनवरी को कैलेंडर का पहला महीना बना दिया, क्योंकि इस महीने (जनवरी) का नाम दरवाजों के देवता जानूस के नाम पर रखा गया था। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 1 जनवरी को नया साल मनाने की प्रथा वर्ष 1582 ई। में शुरू हुई। इसके साथ ही पहली जनवरी को नया साल मनाने की परंपरा शुरू हुई।
बहुत विचार-विमर्श के बाद पोप ग्रेगरी को जूलियस सीज़र के कैलेंडर में लीप वर्ष की अनुपस्थिति का ध्यान आया और उन्होंने अपने धार्मिक नेता सेंट बेडे से बात की। सेंट बेडे ने कहा कि एक वर्ष में 365 दिन और 6 घंटे नहीं बल्कि 365 दिन और 5 घंटे और 46 सेकंड होते हैं। इसी आधार पर लीप वर्ष रखने का निर्णय लिया गया, जिसने ग्रेगोरियन कैलेंडर को पूर्ण बनाया।
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