India News(इंडिया न्यूज़), Shivratri 2024: महाशिवरात्रि के पावन दिन शिव भक्तों को भोलेनाथ की जन्म कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए। वैसे तो भगवान शिव के जन्म से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ। आज का आर्टिकल इसी कहानी पर है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि भगवान शिव के जन्म की कहानी क्या है?
एक बार भगवान सदाशिव और पराशक्ति के मन में दूसरे मनुष्य को बनाने की इच्छा उत्पन्न हुई। अपनी इच्छा पूरी करने के लिए उन्होंने अपने सीधे भाग से ब्रह्मा जी और अपने उल्टे भाग से विष्णु जी को उत्पन्न किया। उन्होंने ब्रह्माजी को सदाशिव और पराशक्ति से उत्पन्न करके उन्हें नाभि कमल में स्थापित किया। इस प्रकार भगवान विष्णु के नाभि कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई।
सृष्टि रचना के बाद भगवान ब्रह्मा को सृष्टि की रचना करने की जिम्मेदारी मिली और भगवान विष्णु को सृष्टि के पालन की जिम्मेदारी मिली। लेकिन एक दिन दोनों के बीच इस बात पर बहस हो गई कि सबसे अच्छा कौन है। इसी बहस के दौरान एक दिव्य ज्योति प्रकट हुई, जिसमें एक विशाल शिवलिंग था। उस समय एक भविष्यवाणी भी हुई थी, जिसमें कहा गया था कि तुम दोनों की रचना मेरे द्वारा ही हुई है। कुछ लोगों का मानना है कि तभी भगवान शिव का जन्म हुआ था।
हिंदू धर्म के लोगों के लिए महाशिवरात्रि का पवित्र त्योहार बहुत खास होता है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं। सुबह से ही शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगना शुरू हो जाता है। लोग अलग-अलग चीजों से शिव का अभिषेक करते हैं।
शिवरात्रि के दिन भक्तों को पूरे दिन व्रत रखना चाहिए। व्रत को निर्विघ्न पूरा करने के लिए भगवान शिव से आशीर्वाद मांगना चाहिए। शिवरात्रि के दिन भक्तों को शाम को स्नान करने के बाद ही पूजा करनी चाहिए या मंदिर जाना चाहिए। भक्तों को चतुर्दशी तिथि पर सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच व्रत समाप्त करना चाहिए। घर के पास जो भी शिव मंदिर हो वहां जलाभिषेक अवश्य करना चाहिए। यदि नदी तट पर शिव मंदिर हो तो अति उत्तम रहेगा।