India News(इंडिया न्यूज़), Surya Ji: शास्त्रों में सूर्य को विशेष दर्जा दिया गया है। सूर्य को सभी नौ ग्रहों में शासक कहा गया है। सभी ग्रहों का राजा होते हुए भी सूर्य किसकी पूजा करते हैं? हमें बताइए लेकिन उससे पहले आइए जानते हैं कि सूर्य अस्तित्व में कैसे आया।
ऐसा कहा जाता है कि इस दुनिया में किसी ने भी भगवान को नहीं देखा है, लेकिन सूर्य और चंद्रमा को हर व्यक्ति ने देखा है। ज्योतिष में सूर्य और चंद्रमा दोनों को ग्रह माना जाता है, जबकि विज्ञान कहता है कि चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है। ज्योतिष में नवग्रहों में सूर्य को राजा और चंद्रमा को रानी तथा मन का कारक माना जाता है। विज्ञान भी मानता है कि सूर्य के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है। सूर्य के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव है और इसीलिए भारत में वैदिक काल से ही सूर्य की पूजा का प्रचलन रहा है।
सूर्य देव के जन्म की यह कहानी भी काफी प्रचलित है। इसके अनुसार ब्रह्मा जी के पुत्र मरीचि थे और मरीचि के पुत्र महर्षि कश्यप थे। उनका विवाह प्रजापति दक्ष की पुत्री दिति और अदिति से हुआ था। अदिति ने राक्षसों को जन्म दिया और अदिति ने देवताओं को जन्म दिया, जो हमेशा आपस में लड़ते रहते थे। यह देखकर देवी माता अदिति बहुत दुखी हुईं। वह सूर्य देव की आराधना करने लगी।
सूर्यदेव उसकी तपस्या से प्रसन्न हुए और उसे पुत्र-प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। गर्भधारण करने के बाद भी उन्होंने कठोर व्रत रखा, जिसके कारण उनका स्वास्थ्य बहुत कमजोर हो गया। इस बात से महर्षि कश्यप बहुत चिंतित हो गये। समय आने पर उसके गर्भ से एक तेजस्वी बालक ने जन्म लिया। का जन्म हुआ, जो देवताओं के नायक बने और बाद में राक्षसों का संहार किया। अदिति के गर्भ से जन्म लेने के कारण वे आदित्य कहलाये।
सूर्य के देवता भगवान शिव हैं। सूर्य देव महादेव की भी पूजा करते हैं। महादेव को सूर्यदेव का उपासक बताया गया है। भगवान शनिदेव को भोलेनाथ भी माना जाता है और सूर्यदेव के उपासक भगवान शंकर हैं। महादेव की महिमा इतनी अपरम्पार है कि सभी देवता उनका आदर करते हैं और उनकी पूजा करते हैं। चाहे भगवान श्री राम हों, शनिदेव हों, ब्रह्मा जी हों, हनुमान जी हों, माता पार्वती हों, काली हों या नारायण हों, सभी के मन में भगवान शंकर के प्रति प्रेम और सम्मान है।