India News(इंडिया न्यूज़), UCC Bill: समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन ने मंगलवार को कहा कि समान नागरिक संहिता मुसलमानों की पवित्र किताब कुरान के सिद्धांतों के खिलाफ है, यह सिर्फ हिंदू और मुसलमानों को लड़ाने के लिए लाया जा रहा है। हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे। हम केवल कुरान ही स्वीकार करेंगे। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने भी इस कानून की आलोचना की है।
यूसीसी पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के कार्यकारी सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली कहते हैं, “यूसीसी आने पर क्या सभी कानूनों में समानता होगी? नहीं, बिल्कुल भी समानता नहीं होगी। आप कुछ समुदायों को इससे छूट देते हैं, इसे देखते हुए समानता कैसे हो सकती है? हमारी कानूनी समिति इसका अध्ययन करेगी और फिर इस पर निर्णय लेगी।
वहीं, देहरादून शहर काजी मोहम्मद अहमद कासमी ने कहा कि यूसीसी केवल एक विशेष धर्म के खिलाफ है, क्योंकि इसमें मुस्लिम समुदाय द्वारा दी गई आपत्तियों को नजरअंदाज कर दिया गया है। इसमें मुस्लिम समुदाय के सुझावों को भी जगह नहीं मिली है। हम संवैधानिक दायरे में रहकर इसका विरोध करेंगे। यह अनुच्छेद 25 के तहत हर धर्म को मानने वाले व्यक्ति की अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता का उल्लंघन है।
मुस्लिम सेवा संगठन के अध्यक्ष नईम कुरेशी का कहना है कि यूसीसी के चार प्रावधान सीधे तौर पर मुस्लिम पर्सनल लॉ पर हमला करते हैं, यह मुस्लिम पर्सनल लॉ को खत्म करने के लिए ही लाया गया है।
कांग्रेस ने आज कहा कि वह यूसीसी के खिलाफ नहीं है बल्कि जिस तरीके से इसे पेश किया जा रहा है उसके खिलाफ है। उन्होंने कहा, “हम इसके (समान नागरिक संहिता) खिलाफ नहीं हैं। सदन कार्य संचालन के नियमों से चलता है लेकिन भाजपा लगातार इसकी अनदेखी कर रही है और संख्या बल के आधार पर विधायकों की आवाज को दबाना चाहती है।