India News(इंडिया न्यूज़) Delhi AIIMS Cancer Study: कैंसर हमारे शरीर के लिए बहुत खतरनाक है ये तो हम सब जानते ही है। बता दे कि दिल्ली के एम्स अस्पताल की ओर से की गई कैंसर पर स्टडी ने परेशानी पैदा कर रही है। एम्स ने यह स्टडी दिल्ली के पुरूषों और महिलाओं पर किया गया है। इसमें यह पाया गया कि शहर में 40 साल से कम उम्र की 30 फीसदी महिलाओं को सबसे ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर की शिकायत होती है। वहीं पुरुष सबसे ज्यादा फेफड़े के कैंसर से भुगत रहे हैं। यह मरीज के साथ पूरे परिवार के लिए बिन बताई मुसीबत के समान है। कैंसर जैसी बिमारियां सबको हिला कर रख देती है।
फेफड़ों के कैंसर के पुरुष रोगियों की संख्या 2015 में 1,207 से बढ़कर 2022 में 1,734 हो गई। इंस्टीट्यूट रोटरी कैंसर हॉस्पिटल एम्स में जनसंख्या आधारित कैंसर रजिस्ट्री विभिन्न स्रोतों-182 सरकारी/निजी अस्पतालों और 250 नर्सिंग होम और नई दिल्ली नगर समिति और दिल्ली नगर निगम के महत्वपूर्ण सांख्यिकी विभाग से कैंसर रोगियों पर डेटा एकत्र करती है। म्स की आंकड़ों के मुताबिक, साल 2015 में 35 महिलाओं को स्तन कैंसर पाया गया था, तो वहीं 1 लाख लोगों में से 17 पुरुषों को फेफड़ों का कैंसर था। इस आंकड़े में सात साल में स्तन कैंसर के रोगियों में 35.9 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी देखी गई, जो 2,657 से 3,611 तक की बढ़ोत्तरी हो गई है।
एम्स में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रोफेसर एमडी रे ने कहा कि 30% स्तन कैंसर 40 साल से कम उम्र की महिलाओं में ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। यह संख्या धीरे-धीरे बढ़ती ही जा रही है। जीवन शैली में धूम्रपान, शराब पीना, हाई फैट डाइट, देर से सोना, देर से उठना इन्ही कारणों से कैंसर हो सकता है।
प्रोफेसर एमडी रे ने कहा कि प्रदूषित हवा भी कैंसर का कारण बनती जा रही है। उन्होंने कहा, ‘मेट्रो शहरों में प्रदूषण का लगातार बढ़ता ही जा रहा है और इससे कैंसर का डर ज्यादा है। धूम्रपान न करने वाले भी प्रदूषित हवा के माध्यम से धूम्रपान से भी कैंसर होता है। उन्होंने कहा, ‘बाथरूम क्लीनर, उर्वरक या कीटनाशकों जैसे रसायनों के अधिक संपर्क में आने से लोगों को कैंसर का खतरा हो सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दिए आंकड़े बताते हैं कि 2020 में दिल्ली में 14,057 कैंसर से संबंधित मौतें हुईं, जबकि 2021 में 14,494 मौतें और 2022 में 14,917 मौत हो गई हैं।
हालांकि, कैंसर को रोका जा सकता है। डॉ. रे ने कहा, ‘हम निश्चित रूप से कुछ कैंसर पैदा करने वाले एजेंटों से दूर रह सकते हैं। लेकिन हम सचेत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हम नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते, रेस्तरां से हाई कैलोरी वाला भोजन खाते हैं। इन रेस्तरां में खराब तेल से खाना पकाया जाता है और हाईजीन का भी ध्यान नहीं रखा जाता।