सहमति से बने संबंध रेप नहीं: हाईकोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट ने बलात्कार के आरोपी एक विवाहित व्यक्ति की जमानत मंजूर करते हुए बड़ी टिप्पणी की है

अदालत का कहना है कि अगर दो वयस्क सहमति से यौन गतिविधियों में शामिल होते हैं, तो गलत काम के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है

दरअसल,एक महिला ने व्यक्ति पर आरोप लगाया था कि उसने शादी का झूठा झांसा देकर उससे बलात्कार किया था

सुनवाई के बाद, कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त की वैवाहिक स्थिति के बारे में पता चलने के बाद भी पीड़िता का संबंध जारी रखने का निर्णय प्रथम दृष्टया उसकी सहमति की ओर इशारा करता है और इस बात की पुष्टि करने के लिए कोई सबूत नहीं दिखाया गया कि आरोपी ने कोई जबरदस्ती संबंध बनाया था

अदालत ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि महिला शिकायत दर्ज करने से पहले काफी समय से आरोपी से मिलती जुलती रही थी और इस तथ्य को जानने के बाद भी कि आवेदक एक विवाहित व्यक्ति है, अपने रिश्ते को जारी रखना चाहती थी

न्यायमूर्ति अमित महाजन ने 29 अप्रैल को पारित एक आदेश में कहा, "हालांकि सामाजिक मानदंड यह तय करते हैं कि यौन संबंध आदर्श रूप से विवाह के दायरे में ही होने चाहिए

लेकिन अगर दो वयस्कों के बीच सहमति से यौन गतिविधि होती है, भले ही उनकी वैवाहिक स्थिति कुछ भी हो, तो इसे कोई गलत काम नहीं कहा जा सकता