अंग्रेजों के कमरे में गंदा काम करने के लिए भेजी जाती थी तवायफ!

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एक समय था जब वेश्याएं ठुमरी और मुजरा करती थीं, लेकिन अंग्रेजों के आने के बाद उनके हालात बदलने लगे।

ब्रिटिश सरकार ने वेश्याओं को उनके मूल काम से हटाकर वेश्यावृत्ति में धकेल दिया। उनको जबरन ब्रिटिश छावनियों में रखा जाता था।

ओल्डेनबर्ग ने अपने शोध पत्र, लाइफस्टाइल ऐज रेजिस्टेंस: द केस ऑफ द कोर्टेसंस ऑफ लखनऊ, इंडिया में वेश्याओं के दर्द को बयां किया है।

वीना तलवार बताती हैं कि 1857 में वेश्याओं के कोठों को लूटा गया, ध्वस्त किया गया और उन पर कर लगाया गया।

हालात ऐसे थे कि वेश्याएं गरीबी की कगार पर खड़ी थीं और वेश्यावृत्ति करने को मजबूर थीं।

अंग्रेज उस समय अविवाहित सैनिकों को भारत लाते थे और उन्हें खुश करने के लिए वेश्याओं को छावनियों में रखा जाता था।

इन वेश्याओं को इतना प्रताड़ित किया जाता था कि 1864 में वे कई तरह की संक्रामक बीमारियों से ग्रसित होने लगीं।