दुनिया का एकलौता चमत्कारी जानवर जिसमें लगे हर जानवर के अंग

जब कृष्ण को अपने मित्र के वनवास के बारे में पता चला तो वे उनसे मिलने जंगल में गये।

उन्होंने नवगुंजर नामक एक विचित्र प्राणी का रूप धारण किया।

नवगुंजर का मुंह मुर्गे के समान, गला मोर के समान, कूबड़ बैल के समान तथा कमर सिंह के समान थी।

जब अर्जुन ने उन्हें देखा तो वह डर गया और अपनी रक्षा के लिए गांडीव उठा लिया।

परंतु उनके मन में तुरंत यह विचार आया कि कहीं कृष्ण उनकी परीक्षा तो नहीं ले रहे हैं?

उन्होंने अपनी आंखें बंद कर लीं और कृष्ण का चिंतन किया और नवगुंजर के सामने अपना सिर झुका दिया।

यह देखकर कृष्ण प्रसन्न हो गये। उन्होंने नवगुंजर का रूप छोड़कर अपना रूप धारण किया।

नवगुंजर अवतार का साहित्य में बहुत महत्व है। इसकी कलाकृति पुरी के जगन्नाथ मंदिर में स्थापित है।