कुछ दशकों में भारत भी जापान की तरह बुजुर्गों का देश बन सकता है।

भारत में प्रजनन दर तेजी से गिर रही है। आने वाले कुछ सालों में देश की जनसंख्या बढ़ने की बजाय घट सकती है।

इसके लिए ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, जीवनशैली और खान-पान में गड़बड़ी जिम्मेदार हैं।

जनसंख्या में बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों के बीच संतुलन जरूरी है।

ऐसा अनुमान है कि 2050 तक भारत में कुल प्रजनन दर सिर्फ 1.29 रह जाएगी।

1950 में यह 6.18 था। यानि उस समय प्रति महिला 6.18 बच्चे थे।

सदी के अंत तक, दुनिया के 77% से अधिक जीवित बच्चे निम्न और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में पैदा होंगे।

यदि इन देशों में जनसंख्या बढ़ती है तो इन समस्याओं का सामना करने के लिए तैयार रहने की आवश्यकता होगी।