न दफनाते हैं, न जलाते हैं, फिर भी यहां के लोग कैसे करते हैं शव का अंतिम संस्कार

हर धर्म में अंतिम संस्कार के अपने-अपने तरीके होते हैं, कहीं शव को जलाया जाता है तो, कहीं दफनाया जाता है

लेकिन तिब्बत में अंतिम संस्ताकार का तरीका सबसे अलग है, यहां इसे स्काई बरियल या झाटोर कहा जाता है

यहां के लोग शव का अंतिम संस्कार करने के लिए उसे किसी ऊंताई वाले जगहों पर चील-कौवों को खाने के लिए रख देते हैं

रिपोर्ट के मुताबितक तिब्बत में यह परंपरा पिछले 1100 सालों से भी ज्यादा से चलती आ रही है

यहां के लोग मानते हैं कि इंसान के मरने के बाद शरीर का कोई विशेष मतलब नहीं रहता

ऊंचाई वाले जगह पर शव का अंतिम संस्कार करने से मरने वाले के लिए स्वर्ग जाने का रास्ता खुल जाता है

जब किसी तिब्बती बौद्ध की मृत्यु हो जाती है तो उसे सफेद कपड़ों में लपेटकर घर के एक कोने में 3 से 5 दिनों तक रखा जाता है

जिसके बाद लामा धार्मिक या बौद्ध भिक्षु पाठ करते हैं ताकि आत्मा की शुद्धि हो सके

ये सब करने के बाद शव को लिए  झाटोर या लामा स्काई के लिए एक दिन तय किया जाता है