नॉर्थ कोरिया में लड़कियों को क्या क्या सहना पड़ता है

'आई वाज किम जोंग इल्स कुक' नाम की किताब में कई विवादित चीजे और सेक्स स्लेव्स के बारे में भी लिखा गया है। यहां स्थानीय भाषा में लड़कियों के ग्रुप को किप्पुमजो कहा जाता जिसका मतलब होता है 'प्लेजर देने वालों का समूह'। 

इस समूह में 14 से 30 साल तक की करीब 2 हजार युवतियां होती हैं। जिसमे कुछ नाचती-गातीं, कुछ मालिश करती है। वो लीडर और बड़े अफसरों को खुश करने का काम करती है। इन बच्चियों को  कहा जाता है कि वे मिशन पर हैं। 

इससे सिलेक्शन के लिए किम के खास लोग स्कूली बच्चियों पर नजर बनाए रखते है और  सुंदर, सेहतमंद बच्चियों को उठाकर प्लेजर ग्रुप में डाल देते है। 

यहां परिवार की सहमति का कोई मतलब नहीं है। यहां नॉर्थ कोरिया में लीडर ही सबकुछ होते है। 

इस ग्रुप में भर्ती से पहले लड़की का मेडिकल कर बीमारियों, खासकर स्किन से जुड़ी बीमारियों के अलावा लड़कियों यौन रूप से एक्टिव न हों इसका भी ख्याल रखा जाता है। 

लेखक ब्रेडली के मार्टिन ने साल 2004 में अंडर द लविंग केयर ऑफ फादरली लीडर नामक एक किताब लिखी- प्लेजर ग्रुप का हिस्सा बनी लड़कियां नर्क से बुरी जिंदगी बिता रही थीं। 

कई लड़कियां यौन रोग से ग्रस्त होने के कारण लंबे समय तक मानसिक-शारीरिक रूप से बीमार थी और उनको इलाज भी नहीं मिल सकता था। 

यहां सिलेक्शन के बाद लड़कियों को घर से दूर एक इमारत में रखा जाता है और यहां उनको राजसी लोगों से डील करने के तरीके और डांस की ट्रेनिंग दी जाती है। 

इसमें मनोरंजन के लिए कमउम्र से लेकर सुंदर युवा लड़कियां लीडर में रहती है और  बाकियों को पोलित ब्यूरो के लिए भेज दिया जाता है। 

जैसे-जैसे लड़कियों की उम्र और बीमारी बढ़ने लगती है, उनको काम से अलग करके घरेलू कामों के लिए भेज दिया जाता है।