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लोहे का पुल अपने आप में एक अजूबा है, जिसका इतिहास करीब 150 साल से भी ज्यादा पुराना है।
850 मीटर लंबे इस पुल के निर्माण के काम को पूरा होने में 3 साल लग गया था।
पुल को ईस्ट इंडिया रेलवे कंपनी द्वारा बनाया गया था, जिसकी लागत उस समय करीब 16 लाख रुपये आई थी।
पुल को ईस्ट इंडिया रेलवे कंपनी द्वारा बनाया गया था, जिसकी लागत उस समय करीब 16 लाख रुपये आई थी।
इससे पहले कोलकाता से दिल्ली आने के लिए लोगों को नावों से नदी पार कराया जाता था।
पहले इस पुल पर केवल एक ही लाइन मौजूद थी, लेकिन साल 1913 में इसे डबल लाइन में बदल दिया गया।
इस समय इसके रखरखाव की जिम्मेदारी उत्तरी रेलवे के पास है जिसको आधिकारिक तौर पर इसका मालिक कहा जा सकता है।