भारत और चीन अपनी अधिक आबादी की वजह से पूरी दुनिया में चर्चा में हो, लेकिन बढ़ती आबादी पूरे विश्व की समस्या नहीं है.

इस स्टडी में कहा गया है कि 1950 के दशक के बाद से सभी देशों में वैश्विक प्रजनन दर में लगातार गिरावट आई है. 

इसी रफ्तार से प्रजनन दर में गिरावट आती है तो 74 साल बाद  आने वाले समय में दुनिया में नाम मात्र की आबादी रह जाएगी.

पृथ्वी पर विभिन्न देशों और महाद्वीपों के 8 अरब लोगों का घर है, लेकिन यह आने वाले समय में बड़े स्तर पर जनसंख्या परिवर्तन के लिए तैयार है.

जिससे जनसंख्या वृद्धि में काफी कमी आएगी. 1950 के दशक में 4.84 से प्रजनन दर 2021 में गिरकर 2.23 हो गई और 2100 तक इसके और घटकर 1.59 होने का अनुमान 

इस स्टडी में सामने आया है कि 2021 में 46 प्रतिशत देशों में प्रजनन दर रिप्लेसमेंट लेवल से नीचे थी

वर्ष 2100 तक  यह आंकड़ा 97 प्रतिशत तक जाने का अनुमान है. 

यह आंकड़ा बताता है कि दुनिया भर के लगभग सभी देश सदी के अंत में प्रजनन स्तर में भारी गिरावट के साथ सब-रिप्लेसमेंट का अनुभव करेंगे.

क्योंकि मानवता अभूतपूर्व डेमोग्राफिक चेंज (जनसांख्यिकीय परिवर्तन) के शिखर पर खड़ी है, लैंसेट अध्ययन एक चेतावनी के रूप में है, 

जो प्रजनन दर में गिरावट से पैदा होने वाली चुनौतियों से निपटने और भविष्य की पीढ़ियों की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय उपायों की तत्काल जरूरत को रेखांकित करता है.