Monday, May 20, 2024
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Loksabha Election 2024: जानिए पहले लोकसभा चुनावों की कहानी, कैसे देश ने चुनी पहली सरकार!

India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Loksabha Election 2024: 15 अगस्त 1947 को भारत देश ब्रिटिश हुकूमत से स्वतंत्र हुआ था। उस समय किसी ने यह कल्पना भी नहीं की थी कि भारत संसदीय लोकतंत्र का महान उदाहरण स्थापित करेगा। पहले आम चुनाव में लोकसभा की 497 और राज्य विधानसभाओं की 3,283 सीटों के लिए 17 करोड़ 32 लाख 12 हजार 343 मतदाताओं ने अपने नाम पंजीकृत करवाए थे। इसमें 10 करोड़ 59 लाख लोग थे, जिनमें से 85 फीसद अनपढ़ थे। उस समय भी उन लोगों ने अपने नेताओं का चयन खुद किया था। 25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 तक चले चुनावी प्रक्रिया ने देश को नए मुकाम पर पहुंचाया था। भारत भले ही अंग्रेजों द्वारा लूटा गया था और माना की यह रहने वाली आधी जनता अनपढ़ थी, तब भी भारत को विश्व के विकसित लोकतंत्रों की श्रेणी में स्थान दिया गया था।

Loksabha Election 2024: नेहरू ने साढ़े तीन करोड़ लोगों को किया था संबोधित!

लोकसभाचुनाव में कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ही सबसे प्रमुख प्रचारक थे। प्रचार अभियान के चलते उन्होंने 40 हजार किलोमीटर की यात्रा की थी| साथ ही साथ हम आपको बता दें की उन्होंने साढ़े तीन करोड़ लोगों को संबोधित भी किया था। ये सब उस समय करना अपने आप में एक बड़ी बात थी। दूसरी ओर भले ही विपक्षी पार्टियों के पास तेजस्वी नेता थे, लेकिन उनके पास संगठन, संसाधन और कार्यकर्ता नहीं थे। मीडिया का भी उस समय इतना विस्तार नहीं था। लोगों तक अपनी बात पहुँचाना अपने आप में संघर्ष की बात थी। इसके बावजूद भी, करीब 31 फीसद वोट विभिन्न पार्टियों को मिले थे।

हिमाचल प्रदेश से हुई थी नए युग की शुरुआत!

25 अक्टूबर, 1951 को जैसे ही पहला वोट हिमाचल प्रदेश की चिनी तहसील में पड़ा, नए युग की शुरुआत हो गई। कांग्रेस ने उत्कृष्ट बहुमत प्राप्त करके 364 सीटें जीतीं, जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी झा उन्होंने 16 सीटें जीतीं। सोशलिस्ट पार्टी, किसान मजदूर प्रजा पार्टी, हिंदू महासभा, भारतीय जनसंघ, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और शिड्यूल कास्ट फेडरेशन ने भी सीटें जीतीं। कांग्रेस ने कुल 4,76,65,951 वोट प्राप्त किए।

हर दल की अलग मतपेटी!

हर दल की अलग मतपेटी बनाना और मतदान सामग्री को लोगों तक पहुंचाना अपने आप में एक बड़ा काम था। मतपेटियों की संख्या करीब दो करोड़ बारह लाख थी और लगभग 62 करोड़ मतपत्र छापे गए थे। मतपेटियों और मतपत्रों को संबंधित मतदान केंद्रों तक पहुंचाना भी एक चुनौतीपूर्ण काम था। इसके अलावा, चुनाव के लिए उचित अधिकारियों का चयन करना भी महत्वपूर्ण था। मुख्य चुनाव आयुक्त ने सुरक्षा को महत्व दिया था और मतपेटियों को सुरक्षित रखने की व्यवस्था की थी। इस सबके माध्यम से चुनाव प्रक्रिया को संचालित किया गया और लाखों लोगों ने अपना योगदान दिया।

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