India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Arvind Kejriwal: दिल्ली हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए अंतरिम जमानत की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की शुरुआत की थी। यह याचिका एक अज्ञात याचिकाकर्ता द्वारा दायर की गई थी, जिसके वकील राहुल मेहरा ने इसकी स्वीकृति के खिलाफ तीव्र विरोध किया, इसे एक मात्र प्रचार कारण मानते हुए और न्याय के हित में नहीं, बल्कि ध्यान आकर्षित करने का केवल एक प्रयास बताया। मेहरा ने इस याचिका को अस्वीकार करते हुए यह भी जताया कि यह केवल उपाय नहीं है, बल्कि न्याय की हार का एक नया तरीका है।
याचिकाकर्ता पर अदालत ने प्रश्न उठाया कि याचिकाकर्ता के मोटिव क्या हैं, और क्या राहुल मेहरा का समर्थन मुख्यमंत्री के कार्यालय से है। हालांकि, याचिकाकर्ता का वकील स्पष्ट किया कि उनका इरादा केवल न्याय के हित में है और उनका कोई राजनैतिक मोतिव नहीं है। रिटायर्ड जस्टिस ने कहा, “मुख्यमंत्री के लिए असाधारण अंतरिम जमानत देना संविधान में निहित समानता के सिद्धांतों को याद रखते हुए महत्वपूर्ण है, और यह हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि कानून हमसे ऊपर हो।”
याचिकाकर्ता ने व्यक्त किया कि केजरीवाल पर कई जिम्मेदारियाँ हैं। उनकी मुख्य समस्या यह है कि सीएम कारावास में होने के कारण उनकी उपलब्धता नहीं है। भारत और विश्व में यह पहली बार है जब कोई मुख्यमंत्री कारावास में हैं। याचिकाकर्ता ने पूछा कि नागरिकों को कारावास के कारण क्यों कठिनाईयों का सामना करना पड़े? उन्होंने कहा कि आज तक किसी ने भी नहीं तय किया कि केजरीवाल दोषी हैं या नहीं। इस सबके बाद हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि वे कौन हैं? क्या वे उसके लिए जमानत बांड भरेंगे? हम आपको बता दें कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और पहले की जनहित याचिकाएँ भी खारिज की गई हैं।
हाईकोर्ट ने आज केजरीवाल की अंतरिम जमानत की मांग को मना कर दिया। उन्होंने कहा कि केजरीवाल न्यायिक आदेशों का पालन करते हुए हिरासत में हैं, इसलिए उन्हें अभी जमानत नहीं मिल सकती। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 75 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। हाईकोर्ट ने कहा कि सभी को समानता का भरोसा रखना चाहिए और कानून को सदैव महत्व देना चाहिए।
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