India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Blood Banks: थैलेसीमिया के मरीजों के लिए काम करने वाले संगठन टीपीएजी (थैलेसीमिया पेशेंट एडवोकेसी ग्रुप) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखकर देश भर के ब्लड बैंकों में खून की जांच के लिए न्यूक्लिक एसिड टेस्ट (एनएटी) को आवश्यक बनाने की मांग की है। यह मांग इसलिए की गई है ताकि खून चढ़ाने के दौरान मरीजों को एचआईवी, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी जैसे गंभीर संक्रमणों से बचाया जा सके और खून अधिक सुरक्षित हो।
थैलेसीमिया के मरीजों को अक्सर खून चढ़ाने की जरूरत होती है, जिससे उन्हें संक्रमण का खतरा बना रहता है। देश भर में लगभग 5700 ब्लड बैंक हैं, जिनमें से 78 दिल्ली में हैं, इनमें सरकारी और प्राइवेट दोनों शामिल हैं। अधिकतर ब्लड बैंक दशकों पुरानी एलाइजा जांच का इस्तेमाल करते हैं। टीपीएजी की मांग है कि एनएटी को अनिवार्य करके मरीजों को सुरक्षित खून उपलब्ध कराया जाए और संक्रमण का खतरा कम किया जाए।
शोध से साबित हो चुका है कि एचआईवी, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी जैसे संक्रमणों का पता लगाने में एलाइजा की तुलना में न्यूक्लिक एसिड टेस्ट (एनएटी) अधिक प्रभावी है। इसी वजह से दिल्ली में कुछ जगहों पर, जैसे AIIMS, RML अस्पताल, यकृत व पित्त विज्ञान संस्थान (आईएलबीएस) और कुछ निजी अस्पतालों के ब्लड बैंकों में एनएटी जांच का इस्तेमाल किया जा रहा है।
मरीजों की सुरक्षा के लिए ब्लड बैंकों में खून की जांच में एनएटी का इस्तेमाल करने की मांग बढ़ रही है। एनएटी जांच से HIV, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी जैसे संक्रमणों का पता लगाना अधिक सुरक्षित माना जाता है। ब्लड बैंकों में एलाइजा की तुलना में एनएटी जांच महंगी होती है, इसलिए अधिकतर बैंक एलाइजा जांच करते हैं। ब्लड बैंक के एक डॉक्टर ने बताया कि एनएटी से पांच दिन पुराने संक्रमण भी पता लगाया जा सकता है, जबकि एलाइजा से यह जानकारी 11 दिन बाद ही मिलती है। टीपीएजी की सदस्य ने सरकार से मांग की है कि एनएटी जांच को ब्लड बैंकों में अनिवार्य किया जाए, ताकि मरीजों को खून चढ़ाने से पहले संक्रमण का खतरा कम हो।
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